Bihar Sir Row: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से बिहार में जारी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) में मतदाता की पहचान के लिए आधार को दस्तावेज मानने पर विचार करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (8 सितंबर) को मामले की सुनवाई करते हुए निर्वाचन आयोग से बिहार में वोटर लिस्ट के SIR में आधार को स्वीकार करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने पर गौर करने को कहा। हालांकि, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है।
SIR पर जारी सुनवाई के दौरान भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह वचन दिया कि बिहार की संशोधित वोटर लिस्ट में किसी मतदाता को शामिल या निकालने के उद्देश्य से किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के लिए आधार कार्ड को भी ध्यान में रखा जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल वास्तविक नागरिकों को ही वोट देने की अनुमति होगी। जाली दस्तावेजों के आधार पर वास्तविक होने का दावा करने वालों को इससे बाहर रखा जाएगा। सु्प्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से बिहार में मतदाताओं की पहचान स्थापित करने के लिए आधार को 12वें निर्धारित दस्तावेज के रूप में मानने को कहा।
शीर्ष अदालत ने कहा कि निर्वाचन आयोग बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण में मतदाताओं की पहचान स्थापित करने के लिए पेश आधार की वास्तविकता का पता लगाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई नहीं चाहता कि निर्वाचन आयोग अवैध प्रवासियों को मतदाता सूची में शामिल करे।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने आदेश में कहा कि आधार कार्ड को अधिकारियों द्वारा 12वें दस्तावेज के रूप में माना जाएगा। हालांकि, इस दौरान यह भी देखना होगा कि कोई चुनावी आयोग को बिहार वोटर लिस्ट में अवैध प्रवासियों को शामिल कराने की कोशिश तो नहीं कर रहा है।
सु्प्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार हालांकि, यह स्पष्ट किया जाता है कि अधिकारियों को आधार कार्ड की प्रामाणिकता और वास्तविकता को सत्यापित करने का हकदार होगा। इसे नागरिकता के प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। चुनाव आयोग इस मामले में अपना अलग निर्देश जारी करेगा।
आधार को 11 दस्तावेजों की लिस्ट से बाहर रखे जाने पर विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। विपक्षी दलों का कहना है कि इस सर्वमान्य दस्तावेज को मतदाता पहचान पत्र (SIR) की प्रक्रिया इसलिए बाहर रखा गया है ताकी भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को फायदा हो।
चुनाव आयोग ने 18 अगस्त को उन 65 लाख लोगों के नाम जारी किए, जिन्हें SIR प्रक्रिया के तहत प्रकाशित मसौदा वोटर लिस्ट से हटा दिया गया था। 28 जुलाई को शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को 1 अगस्त को बिहार के लिए मसौदा वोटर लिस्ट प्रकाशित करने से रोकने से इनकार कर दिया था। हालांकि, चुनाव आयोग से कहा था कि वह कम से कम आधार कार्ड और EPIC पर विचार करे। चुनाव आयोग ने आधार को शामिल किए बिना ही SIR प्रक्रिया को आगे बढ़ाया।