Cryptocurrency पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा आरबीआई, डिप्टी गवर्नर ने दिए संकेत

Cryptocurrency की धूम पूरी दुनिया में मची हुई है, लेकिन भारत बैंकिंग सिस्टम का मुखिया आरबीआई इसे करेंसी, मुद्रा या पैसा नहीं मानता है। इसके मुताबिक ये महज कोड का टुकड़ा है, जो निवेश के लिहाज से काफी जोखिम भरा हो सकता है। आइए जानें आरबीई के डिप्टी गवर्नर ने इस पर क्या कहा

अपडेटेड Dec 13, 2025 पर 7:19 PM
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क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से बैन लगाने पर विचार किया जा रहा है, लेकिन अंतिम फैसला सरकार लेगी।

Cryptocurrency में निवेश इस समय दुनिया में हॉट टॉपिक बना हुआ है। यह आभासी मुद्रा असल में कोई मुद्रा नहीं है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) क्रिप्टोकरेंसी को पैसा नहीं कोड का टुकड़ा मानता है। इसमें निवेश के फायदे से ज्यादा जोखिम हैं। मिंट एनुअल बीएफएसआई कॉन्क्लेव 2025 में शुक्रवार को केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से बैन लगाने के विचार पर भी चर्चा की।

इस मौके पर रवि शंकर ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी असल में कोई करेंसी नहीं है। उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी में पैसे या मुद्रा की वो बुनियादी खूबियां नहीं हैं। इनके फायदे न तो अद्वितीय हैं और न ही विवादरहित हैं, लेकिन उनके जोखिम बहुत वास्तविक हैं। डिप्टी गवर्नर के मुताबिक ये सिर्फ एक कोड का टुकड़ा है, जो वित्तीय संपत्ति या किसी अन्य तरह की संपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से बैन लगाने पर विचार किया जा रहा है, लेकिन अंतिम फैसला सरकार लेगी। सरकार इस मामले में सभी संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श करने के बाद कोई भी फैसला लेगी। हाल के समय में दुनिया में ही नहीं भारत में भी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। क्रिप्टो निवेशकों में सबसे ज्यादा 18 से 25 साल के युवा है।

क्रिप्टो को इसलिए नहीं मानते असली पैसा

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर रवि शंकर ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी को वास्तविक पैसा नहीं मानने का पहला कारण ये है कि इसका कोई आंतरिक मूल्य नहीं है। उनका कोई जारीकर्ता (Issuer) नहीं है और वे भुगतान के वादे से समर्थित नहीं हैं। उनका मूल्य पूरी तरह से सट्टा (Speculative) पर आधारित है। रवि शंकर ने स्पष्ट किया कि किसी भी मुद्रा या जमा राशि को एक भरोसेमंद जारीकर्ता का वादा मिलता है, और पैसे की विश्वसनीयता उस संप्रभु (Sovereign) से मिलती है जो उसके मूल्य का समर्थन करता है।

उन्होंने आगे कहा कि किसी भी मुद्रा या जमा राशि का वास्तविक मूल्य उस भरोसे पर आधारित होता है जो उसके जारीकर्ता पर रखा जाता है। रुपये के संदर्भ में यह भरोसा भारतीय रिजर्व बैंक और भारत सरकार पर आधारित है।

ब्लॉकचेन नेटवर्क पर चलती हैं क्रिप्टोकरेंसी


क्रिप्टोकरेंसी की असली समस्या यह है कि वे खुद को नए तरह के पैसे की तरह पेश करती हैं, लेकिन उनका कोई वास्तविक मूल्य नहीं है। गौरतलब है कि क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल या वर्चुअल मुद्राएं हैं, जो केंद्रीय बैंक के नियंत्रण के बजाय विकेन्द्रीकृत ब्लॉकचेन नेटवर्क पर चलती हैं। भारत में, वे रेगुलराइज्ड नहीं हैं। हालांकि इनमें व्यापार या लेन-देन प्रतिबंधित या अवैध नहीं है, लेकिन टैक्स का बोझ काफी ज्यादा है।

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