श्रीकृष्ण भक्तों की आस्था का केंद्र बांके बिहारी मंदिर के तोषखाने को खोलने का फैसला किया गया है। इसे सुप्रीम कोर्ट की उच्चाधिकार प्राप्त समिति की निगरानी में खोला जाएगा। इसे खोलने का फैसला मंदिर समिति की बैठक में लिया गया है। यह तोषखाना बांके बिहारी मंदिर के गर्भग्रह के ठीक नीचे स्थित है। बजाया जा रहा है कि इस खजाने में भरतपुर, करौली और ग्वालियर राज्यों के साथ-साथ सीलबंद दस्तावेज, उपहार, प्रशंसा पत्र, भूमि के दस्तावेज, दान की गई इमारतें, मंदिर और खेत भी शामिल हैं।
स्थानीय सूत्रों का दावा है कि इसे 1971 में मंदिर समिति के अध्यक्ष प्यारेलाल गोयल की निगरानी में खोला गया था। इसके बाद खजाने से निकाले गए आभूषणों को एक बक्से में बंद कर और मथुरा के भूतेश्वर स्थित स्टेट बैंक के लॉकर में रख दिया गया था। इसकी लिस्ट समिति के सभी सदस्यों को उपलब्ध कराई गई थी। इतिहासकारों के मुताबिक इसका निर्माण 1864 में वैष्णव परंपरा के अनुसार किया गया था।
मंदिर की समिति में ये हैं शामिल
बांके बिहारी मंदिर उच्चाधिकार प्रबंध समिति की बैठक में सेवानिवृत्त जिला जज मुकेश मिश्रा, जिला जज विकास कुमार, सिविल जज शिप्रा दुबे, डीएम चंद्र प्रकाश सिंह, एसएसपी श्लोक कुमार, कमिश्नर जग प्रवेश, एमवीडीए उपाध्यक्ष श्याम बहादुर सिंह, एएसआई पुरातत्वविद डॉ. स्मिता एस कुमार और सेवायत शैलेंद्र गोस्वामी, वरदान गोस्वामी, दिनेश गोस्वामी और विजय कृष्ण गोस्वामी बब्बू मौजूद रहे।
समिति की बैठक में पारित हुए 9 अहम प्रस्ताव
खजाने में हैं ये बेश्कीमती चीजें
मंदिर के गर्भगृह के नीचे बने तोषखाने को खोलने की वीडियोग्राफी की जाएगी और इसकी रिपोर्ट संयुक्त हस्ताक्षर के साथ हाईपावर कमेटी को सौंपी जाएगी।
सुरक्षा में सेवानिवृत्त सैनिकों की नियुक्ति पर विचार
मंदिर की सुरक्षा बढ़ाने की योजना पर मंदिर की उच्चाधिकार प्रबंध समिति काम कर रही है। सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित सुरक्षाकर्मियों या सेवानिवृत्त सैनिकों की सेवाएं लेने की योजना पर काम चल रहा है।
ब्रिटिश काल में दो बार हो चुकी है चोरी
बांके बिहारी मंदिर के खजाने में कड़ी सुरक्षा के बावजूद दो बार चोरी हो चुकी है। ब्रिटिश काल में 1926 और 1936 में इसमें चोरी हो चुकी है।
इस तरह की घटनाओं के बाद, मुख्य तहखाने का दरवाजा बंद कर दिया गया था, जिससे चढ़ावे के लिए सिर्फ एक छोटी सी खिड़की खुली छोड़ी गई थी। 2002 और 2004 में खजाना खोलने की दो बाद कोशिश की गई थी। लेकिन आधिकारिक अनुमति के अभाव में ये प्रयास असफल रहे थे।