Nankana Sahib: गुरु नानक देव जी की जयंती के अवसर पर पाकिस्तान ने अटारी-वाघा सीमा पर कई हिंदू तीर्थयात्रियों को ननकाना साहिब जाने से रोक दिया। परिवारों ने दावा किया कि उनके पास सभी आवश्यक दस्तावेज थे, लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों ने कथित तौर पर उनके वीजा अंतिम समय में रद्द कर दिए। श्रद्धालुओं का आरोप है कि उन्हें यह कहकर रोका गया कि गुरुद्वारे सिखों के लिए हैं, न कि हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए। भारत सरकार के उच्च सूत्रों ने भी इस घटना को गंभीर राजनयिक चिंता' का विषय बताया है।
वीजा रद्द करने का क्या बताया कारण
जिन हिंदू तीर्थयात्रियों को रोका गया, उनमें से एक अमर चंद ने अपने परिवार के साथ हुई घटना के बारे में बताया। उन्होंने कहा, 'मेरे परिवार के सात सदस्यों का वीजा रद्द जा कर दिया गया। वीजा मिलने के बाद, हम वाघा सीमा पर पहुंचें और इमिग्रेशन प्रक्रिया भी पूरी कर ली। लेकिन जैसे ही हम बस में चढ़े, पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मियों ने हमें उतरने को कहा। अमर चंद ने आरोप लगाया कि सुरक्षाकर्मियों ने उनसे कहा, 'गुरुद्वारे सिखों के लिए हैं, हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए नहीं,' और अंततः उनके वीजा रद्द कर दिए गए। उनका कहना है कि पाकिस्तान भारत के लोगों को विभाजित करना चाहता है। ननकाना साहिब गुरु नानक देव का जन्मस्थान है।
भेदभावपूर्ण व्यवहार से नाराज हुए श्रद्धालु
इसी तरह के अनुभव का सामना करने वाले एक अन्य हिंदू श्रद्धालु अजय कुमार ने इसे भेदभावपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, मेरे सभी दस्तावेज और वीजा क्लियर थे, लेकिन मेरा पासपोर्ट देखने के बाद पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मी ने कहा कि मैं हिंदू हूं और वहां नहीं जा सकता। मेरे साथ गए दो सिख तीर्थयात्रियों को जाने की अनुमति दी गई।'
कुमार ने पाकिस्तान के इस रवैये को 'गलत संदेश' करार दिया और कहा कि पाकिस्तान को संदेश दिया जाना चाहिए कि हिंदुओं के साथ इस तरह का व्यवहार स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा, 'उन्होंने पहले हमें वीजा जारी किया, फिर रद्द कर दिया। वे अपने वादे पर खरे नहीं उतरे।' उन्होंने भारत सरकार से पाकिस्तान को जवाबी प्रतिक्रिया देने की मांग की है।