Weather Update: भारत में सर्दी का कहर! ला नीना के लौटने से बढ़ेगी ठंड और बर्फबारी

Weather Update: इस साल भारत में मानसून ने रिकॉर्ड बारिश की है, कई जगह जलभराव हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि साल के अंत में ला नीना फिर सक्रिय हो सकता है। अक्टूबर-दिसंबर में इसकी 71% संभावना जताई गई है। इससे उत्तर भारत में कड़ाके की सर्दी और हिमालयी राज्यों में भारी बर्फबारी की आशंका है

अपडेटेड Sep 16, 2025 पर 11:58 AM
Story continues below Advertisement
Weather Updates: मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि साल के आखिर में ला नीना की स्थिति फिर से बन सकती है।

इस साल भारत में कई राज्यों में बारिश का पैटर्न असामान्य रूप से बदल गया है। आमतौर पर जो मात्रा में बारिश होती है, उससे ज्यादा इस बार कई जगहों पर पानी बरस रहा है। मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी दी थी कि सितंबर में भी सामान्य से ज्यादा बारिश हो सकती है। सितंबर की शुरुआत में ही इसका असर दिखाई दिया और कई राज्यों में जलभराव की स्थिति बन गई। नदियों और नालों में पानी बढ़ गया, खेतों और सड़कों पर पानी जमा हो गया, जिससे लोगों की जिंदगी प्रभावित हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि ये असामान्य बारिश मौसमी बदलाव और वायुमंडलीय परिस्थितियों के कारण हो रही है।

ऐसे मौसम में लोगों को सतर्क रहना चाहिए और बारिश से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए तैयार रहना चाहिए। बारिश ने जहां कुछ क्षेत्रों में पानी की कमी को पूरा किया, वहीं दूसरी ओर बाढ़ जैसी समस्याएं भी उत्पन्न कर दी हैं।

ला नीना लौट सकती है, सर्दियों में बढ़ोतरी की संभावना


मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि साल के आखिर में ला नीना की स्थिति फिर से बन सकती है। इसका मतलब है कि इस साल भारत में सामान्य से ज्यादा ठंडी सर्दियां पड़ सकती हैं। अमेरिका के जलवायु पूर्वानुमान केंद्र के अनुसार, अक्टूबर-दिसंबर में ला नीना आने की 71 प्रतिशत संभावना है। इस स्थिति के फरवरी 2026 तक जारी रहने की संभावना भी है।

ला नीना क्या है?

ला नीना, प्रशांत महासागर में समुद्र के पानी के ठंडा होने की स्थिति है। इससे उत्तरी भारत में ठंडी सर्दियां आती हैं। हालांकि, मानसून के दौरान प्रशांत महासागर की स्थिति अभी तटस्थ है, यानी न तो ला नीना और न ही एल नीनो है।

आईएमडी का पूर्वानुमान

भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, मानसून के बाद के महीनों में ला नीना बनने की संभावना 50 प्रतिशत से ज्यादा है। ला नीना वाले सालों में आमतौर पर भारत में सामान्य से ज्यादा ठंड पड़ती है। हालांकि, जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी का असर थोड़ी हद तक सर्दियों को नरम कर सकता है।

पहाड़ी राज्यों में भारी बर्फबारी का खतरा

अगर ला नीना बनता है तो इसका असर खासतौर पर उत्तर भारत और हिमालयी इलाकों में दिखाई देगा। ये कड़ाके की ठंड और पहाड़ी राज्यों में भारी बर्फबारी ला सकता है। इससे निचले स्तर की हवाओं में बदलाव होता है, जो ठंडी हवा को ऊपरी इलाकों से भारत की ओर लाता है।

विशेषज्ञों की चेतावनी

स्काइमेट वेदर के अध्यक्ष जीपी शर्मा ने बताया कि प्रशांत महासागर पहले से ठंडा है, लेकिन अभी ला नीना की सीमा तक नहीं पहुंचा। अगर समुद्र की सतह का तापमान 0.5°C से नीचे चले और तीन तिमाहियों तक बना रहे, तभी इसे ला नीना माना जाएगा।

Cloudburst in Dehradun: उत्तराखंड के देहरादून में बरपा कुदरत का कहर, बादल फटने से भयंकर तबाही, टपकेश्वर महादेव मंदिर डूबा

Anchal Jha

Anchal Jha

Tags: #IMD

First Published: Sep 16, 2025 11:58 AM

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।