शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी को लेकर आरोपों के घेरे में क्यों पश्चिम बंगाल पुलिस? सोशल मीडिया से पैदा विवाद का होगा जमीनी असर!

बढ़ते विरोध को देखते हुए शर्मिष्ठा ने अपने वीडियो डिलीट कर दिए और बिना शर्त माफी भी मांगी लेकिन यह मामला यहीं थमा नहीं। यह सबकुछ एक दिन के भीतर हुआ यानी 14 मई को शर्मिष्ठा ने पोस्ट की और 15 मई को डिलीट कर दी। लेकिन इस बीच कोलकाता पुलिस ने मामले में FIR दर्ज कर ली

अपडेटेड Jun 04, 2025 पर 7:41 PM
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Sharmistha Panoli: शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी को लेकर आरोपों के घेरे में क्यों पश्चिम बंगाल पुलिस? सोशल मीडिया से पैदा विवाद का होगा जमीनी असर!

लॉ स्टूडेंट शर्मिष्ठा पनोली की पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी आरोपों के घेरे में आ गई है। हालांकि पश्चिम बंगाल पुलिस ने इस गिरफ्तारी को लेकर साफ किया है कि उसने सभी नियमों का पालन किया है। पुलिस की इस सफाई के बावजूद शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी पर सवाल हो रहे हैं। आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की है।

पश्चिम बंगाल पुलिस के इस कदम को लेकर परंपरागत प्रतिद्वंद्वी पार्टियों के नेता भी एक सुर में बयान दे रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेता और पश्चिम बंगाल में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदू अधिकारी और कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम एक ही सुर में विरोध कर रहे हैं।

शर्मिष्ठा के वीडियो की आपत्तिजनक भाषा


दरअसल शर्मिष्ठा जिस तरीके वीडियो बना रही थीं और उसमें जैसी भाषा का इस्तेमाल कर रही थीं, वह आपत्तिजनक तो है ही, साथ ही सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का रास्ता है। ऐसे ही एक वीडियो में उन्होंने इस्लाम धर्म के आखिरी पैगंबर मुहम्मद साहब के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया। शर्मिष्ठा के इस वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में लोगों ने गिरफ्तारी की मांग की। AIMIM नेता और वकील वारिस पठान ने भी शर्मिष्ठा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।

वीडियो डिलीट कर माफी मांगी

बढ़ते विरोध को देखते हुए शर्मिष्ठा ने अपने वीडियो डिलीट कर दिए और बिना शर्त माफी भी मांगी लेकिन यह मामला यहीं थमा नहीं। यह सबकुछ एक दिन के भीतर हुआ यानी 14 मई को शर्मिष्ठा ने पोस्ट की और 15 मई को डिलीट कर दी। लेकिन इस बीच कोलकाता पुलिस ने मामले में FIR दर्ज कर ली।

यह भी जानकारी सामने आ रही है कि FIR एक शिकायत के बाद दर्ज की गई है लेकिन यह शिकायत किसने दर्ज कराई, यह स्पष्ट नहीं है। इस पर भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या कोलकाता पुलिस ने स्वत: संज्ञान लेकर ये FIR दर्ज की है?

मानवाधिकार आयोग ने भेजा नोटिस

मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने भी पश्चिम बंगाल डीजीपी को नोटिस भेजा है। उन्होंने गिरफ्तारी के संबंध में सवाल पूछे हैं। कुल मिलाकर अपनी कार्रवाई पर सफाई देने के बावजूद पश्चिम बंगाल पुलिस सवालों और आरोपों के घेरे में हैं। इसके पीछे कई कारण हैं।

तृणमूल नेताओं के बयानों और पोस्ट्स को लेकर सवाल

दरअसल शर्मिष्ठा को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस को घेरने वाले तृणमूल सांसद सायोनी घोष का मामला उठा रहे हैं। 2015 में उनके ट्विटर अकाउंट से महाशिवरात्रि के अवसर पर एक तस्वीर पोस्ट की गई थी, जिसमें एक महिला शिवलिंग पर कंडोम पहनाते हुए दिख रही थी। इसे हिंदू धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला माना गया, जिसके कारण व्यापक विवाद हुआ। सायोनी बाद में ये कहते हुए पोस्ट डिलीट कर दी थी कि अकाउंट हैक हो गया था। और उन्होंने इसके लिए माफी मांगी।

शर्मिष्ठा विवाद को लेकर पश्चिम बंगाल पुलिस से सवाल किए जा रहे हैं कि सायोनी घोष की गिरफ्तारी तब क्यों नहीं हुई। खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के एक बयान को लेकर भी विवाद हो रहा है। यह विवाद CM ममता के 31 मार्च 2025 को कोलकाता में ईद-उल-फितर के अवसर पर दिए गए भाषण से जुड़ा है। ममता ने अपने भाषण में कहा था-हम रामकृष्ण और स्वामी विवेकानंद के धर्म को मानते हैं, लेकिन उस गंदा धर्म को नहीं जो जुमला पार्टी (बीजेपी) ने बनाया है।"

ममता-महुआ के बयान का भी जिक्र

ममता बनर्जी के इस भाषण पर बीजेपी ने जबरदस्त विरोध दर्ज कराया था। हालांकि कुछ फैक्ट चेकिंग एजेंसियों ने कहा कि ममता का यह बयान बीजेपी की राजनीति के खिलाफ था, सनातन धर्म के खिलाफ नहीं। अब शर्मिष्ठा मामले में ममता का यह बयान भी उछाला जा रहा है। इसके अलावा तृणमूल नेता महुआ मोइत्रा के बयान को लेकर भी पश्चिम बंगाल पुलिस पर आरोप लगाए जा रहे हैं।

गिरफ्तारी को ठहराया जा रहा है गलत

कुल मिलाकर शर्मिष्ठा विवाद में पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी के पहले के कई मामलों से जोड़कर आरोप लगाए जा रहे हैं। हालांकि कई नेता शर्मिष्ठा की भाषा को आपत्तिजनक मान रहे हैं लेकिन पुलिस की गिरफ्तारी को गलत ठहरा रहे हैं।

जैसे बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने कहा है-मैं मानती हूं कि शर्मिष्ठा ने अपनी बात रखने के लिए कुछ अप्रिय शब्दों का इस्तेमाल किया, लेकिन आजकल के युवा अक्सर ऐसे शब्दों का उपयोग करते हैं। उन्होंने अपने बयान के लिए माफी मांग ली है और यह काफी होना चाहिए। उन्हें और प्रताड़ित करने या परेशान करने की जरूरत नहीं है, उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।

मामला लंबा खिंचा तो पड़ सकता है राजनीतिक असर!

दरअसल पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी को राज्य के राजनीतिक नेतृत्व से भी जोड़कर देखा जा रहा है। राज्य की बीजेपी यूनिट टीएमसी सरकार पर अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के आरोप लगाती रही है। शर्मिष्ठा विवाद के बाद बीजेपी अपने आरोप और तेज करती है। सोशल मीडिया से शुरू हुआ विवाद सड़क की राजनीति तक दिख सकता है।

Arun Tiwari

Arun Tiwari

First Published: Jun 04, 2025 7:41 PM

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