North India Fog Accidents: सर्दियों के कोहरे में सड़कें बनी मौत का जाल, अलग-अलग स्थानों पर हुए कई बड़े हादसे
North India Fog Accidents: पिछले कुछ हफ्तों में, घने कोहरे और धुंध के कारण उत्तर भारत में कई दुर्घटनाएं हुईं: जैसे- मथुरा के पास यमुना एक्सप्रेसवे पर लगभग जीरो विजिबिलिटी के बीच हुई एक घातक बहु-वाहन दुर्घटना में 19 लोगों की जान चली गई।
सर्दियों के कोहरे में सड़कें बनी मौत का जाल, अलग-अलग स्थानों पर हुए कई बड़े हादसे
North India Fog Accidents: पिछले कुछ हफ्तों में, घने कोहरे और धुंध के कारण उत्तर भारत में कई दुर्घटनाएं हुईं: जैसे- मथुरा के पास यमुना एक्सप्रेसवे पर लगभग जीरो विजिबिलिटी के बीच हुई एक घातक बहु-वाहन दुर्घटना में 19 लोगों की जान चली गई, हरियाणा के दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर कोहरे के कारण हुई एक दुर्घटना में चार लोगों की मौत हो गई, और ग्रेटर नोएडा के पास ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर हुई एक दुर्घटना में कई यात्री घायल हो गए।
तेजी से भागती राष्ट्रीय राजधानी में, सुबह आमतौर पर हॉर्न की आवाज और तेज रोशनी के साथ शुरू होता है। लेकिन, सर्दियों की धुंध से शहर के ढके होने के कारण, सड़कें धूसर बादलों जैसी दिखती हैं और पैदल यात्री दूर से धुंधली परछाइयों के रूप में ही दिखाई देते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, सुरक्षा संबंधी खतरे का मूल कारण चालकों द्वारा गति पर अपने नियंत्रण का अत्यधिक अनुमान लगाना है, विशेषकर तब जब वाहन चलते समय गहराई का अनुमान लगाने की क्षमता कम हो जाती है। गति चालक की दृश्य दृष्टि के अनुरूप होनी चाहिए और वाहन के खराब होने की स्थिति को छोड़कर किसी भी परिस्थिति में ओवरटेकिंग से बचना चाहिए। मोटर वाहन (ड्राइविंग) विनियम, 2017 के तहत, चालकों को सुरक्षित रूप से रुकने के लिए पर्याप्त दूरी बनाए रखनी चाहिए, और कोहरे जैसे प्रतिकूल मौसम में इस दूरी को बढ़ाना चाहिए।
पूर्व डिप्टी कमिश्नर ऑफ ट्रांसपोर्ट अनिल छिकारा ने अधिकारियों को सुझाव दिया कि खतरनाक सड़कों पर वेरिएबल मैसेज साइंस (VMS) लगाए जाएं और उनका पालन कराया जाए, साथ ही हैज़र्ड वार्निंग सिग्नल चालू रखे जाएं।
उन्होंने सुझाव दिया कि वाहनों को समन्वित तरीके से चलना चाहिए, जिसमें दोपहिया वाहन कार काफिले के पीछे चलें, ताकि अचानक ब्रेक लगाने पर टक्कर से बचा जा सके। उन्होंने आगे कहा, "रुकते समय भी, ब्रेक को धीरे-धीरे लगाना चाहिए ताकि अचानक झटके न लगें, जो एक के बाद एक दुर्घटना का कारण बन सकते हैं।"
जब कोई वाहन खराब हो जाता है, तो दुर्घटनाओं से बचने के लिए खतरे की बत्तियों या ब्लिंकर का उपयोग करके आस-पास के मोटर चालकों को सूचित करना महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि हाई-बीम लाइटें चालकों की आंखों में परावर्तित हो सकती हैं और दृश्यता को खराब कर सकती हैं, जबकि येलो लाइट धुंध में अधिक प्रभावी ढंग से दिखाई देती हैं। वाहन के चलते समय हैजर्ड लाइट का उपयोग करने से भ्रम हो सकता है, और वाहनों पर रिफ्लेक्टिव स्टिकर और दोपहिया वाहन चालकों के लिए जैकेट विजिबिलिटी के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन के अध्यक्ष रोहित बलूजा ने कहा, “रिफ्लेक्टिव ट्रैफिक कंट्रोल डिवाइस चालकों को सड़क को समझने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, खासकर कोहरे और कम विजिबिलिटी की स्थिति में।"
बलूजा ने आगे कहा कि वाहनों की हेडलाइट की रोशनी को ड्राइवर की ओर वापस रिफ्लेक्ट करके, सड़क संकेत, रोड मार्किंग और डिलिनीएटर (delineators) लेन, मोड़, चौराहे और खतरों को पहले से ही स्पष्ट रूप से देखने में सहायक होते हैं। सड़क दुर्घटनाओं का एक कारण ऐसे उपकरणों का न होना और रिफ्लेक्टिव न होना है। उन्होंने कहा, "किसी भी स्थिति में, चालकों को लगभग जीरो विजिबिलिटी होने पर वाहन चलाने से बचना चाहिए।"
कड़ाके की ठंड में, सतहों को साफ रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि नमी से विजिबिलिटी और भी कम हो सकती है। दोपहिया वाहन चालकों को हेलमेट के वाइजर को नियमित रूप से साफ करना चाहिए, जबकि चार पहिया वाहन चालकों को हीटर का उपयोग करने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे विंडशील्ड पर नमी जमा हो सकती है। इसके बजाय, एयर कंडीशनर चालू करने और खिड़की को थोड़ा खुला रखने से नमी को जमा होने से रोका जा सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि चौड़ी सड़कों पर भले ही अधिक जगह हो, लेकिन अनियंत्रित गति राजमार्गों को भी खतरनाक बना सकती है। सर्दियों के धुंध में, तेज गति और लापरवाही किसी भी सड़क को खतरनाक क्षेत्र में बदल सकती है, इसलिए सतर्कता, वाहन संबंधी सुरक्षा उपाय और सतर्क ड्राइविंग ही संभावित दुर्घटना से बचाव के एकमात्र उपाय हैं।