चालू वित्त वर्ष 2025-26 हायरिंग आउटलुक पॉजिटिव बना हुआ है। एक सर्वे में शामिल कंपनियों में से 45 प्रतिशत ने कहा है कि वे नए स्थायी पदों यानि परमानेंट पोजिशंस पर भर्ती करने की योजना बना रही हैं। वर्कफोर्स सॉल्यूशंस और एचआर सर्विसेज प्रोवाइडर ‘जीनियस कंसल्टेंट्स’ ने एक रिपोर्ट में कहा कि सर्वे किए गए एंप्लॉयर्स में से 45 प्रतिशत वित्त वर्ष 2025-26 के लिए नए स्थायी पदों पर नियुक्ति करने की योजना बना रहे हैं। वहीं 13 प्रतिशत मौजूदा पदों पर कर्मचारियों को बदलने की योजना बना रहे हैं। रिपोर्ट का नाम 'Hiring, Compensation & Attrition Management Outlook Survey for 2025-26' है।
यह रिपोर्ट विभिन्न उद्योगों की ऑर्गेनाइजेशंस के 1,520 ग्राहक प्रतिनिधियों और सीनियर लेवल अधिकारियों से मिले रिस्पॉन्स पर बेस्ड है। रिस्पॉन्डेंट्स में से 16 प्रतिशत ऑर्गेनाइजेशंस ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए कोई हायरिंग प्लान नहीं होने का संकेत दिया। यह एक सतर्क अप्रोच को दर्शाता है।
बढ़ रहा है अस्थायी भर्ती का ट्रेंड
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि अस्थायी भर्ती का महत्व हर तरफ बढ़ता दिखाई दे रहा है। एंप्लॉयर्स में से 26 प्रतिशत का फोकस अस्थायी, कॉन्ट्रैक्ट वाले या प्रोजेक्ट-बेस्ड रोल्स पर रहा। हायरिंग के प्राइमरी फोकस को लेकर एंप्लॉयर्स में से 37 प्रतिशत ने कहा कि उनका लक्ष्य मिड-लेवल प्रोफेशनल्स की भर्ती करना है। वहीं 26 प्रतिशत ने कहा कि वे गिग वर्कर्स (जैसे ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए डिलीवरी करने वाले), कॉन्ट्रैक्ट-बेस्ड रोल्स और सलाहकार पदों की ओर शिफ्ट हो रहे हैं। यह इंडस्ट्रीज में फ्लेक्सिबल स्टाफिंग के ट्रेंड को पुख्ता करता है।
किन इंडस्ट्रीज में होगी हायरिंग
एंप्लॉयर्स में से 21 प्रतिशत का मानना है कि सबसे ज्यादा हायरिंग रिटेल, ई-कॉमर्स और क्यू-कॉमर्स क्षेत्र में हो सकती है। 9 प्रतिशत एंप्लॉयर्स का मानना है कि इसके कारण लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग में भर्ती जरूरतों में भी वृद्धि होने की उम्मीद है। लगभग 15 प्रतिशत एंप्लॉयर्स ऑटोमोबाइल और ईवी में रिक्रूटमेंट बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं, जबकि 11 प्रतिशत रिन्यूएबल्स, एनर्जी और इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट में भर्ती की जरूरतों में वृद्धि को देख रहे हैं।
IT, टेलिकॉम और टेक्नोलॉजी, मैन्युफैक्चरिंग, इंजीनियरिंग और उत्पादन, इंफ्रा, परिवहन, रियल एस्टेट और BSFI सेक्टर्स में भी हायिरिंग में बढ़ोतरी हो सकती है। इस बीच, FMCG और FMCD, हेल्थकेयर, हॉस्पिटैलिटी, मीडिया और मनोरंजन, और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में इस वित्त वर्ष में भर्ती कम रह सकती है।