Navratri Vrat: नवरात्र में व्रत की थाली को सजाएं इन खास पकवानों से...जिससे मिलेगा आस्था, प्रकृति और संस्कृति का अनोखा संगम

Navratri Vrat: नवरात्रि की थाली में सात्विक व्यंजन न केवल शरीर को ऊर्जा देते हैं, बल्कि आस्था और पारंपरिक संस्कृतियों की झलक भी पेश करते हैं। हर पकवान में छिपी होती है एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कहानी, जो नवरात्रि के त्योहार को खास बनाती है।

अपडेटेड Sep 21, 2025 पर 4:18 PM
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नवरात्र के दौरान खाने-पीने की थाली सिर्फ पेट भरने का माध्यम नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और संस्कृति की जीवंत कहानियों से भरी होती है। इस पावन त्योहार में रोजाना के अनाज और मसाले हटाकर सात्विक पकवानों को प्राथमिकता दी जाती है, जो शरीर को ऊर्जा देने के साथ मन और आत्मा को भी पोषण देते हैं।

नवरात्र की थाली में साबुदाना खिचड़ी खास स्थान रखती है, जो महाराष्ट्र से शुरू होकर पूरे भारत में उपवासियों की पसंद बन चुकी है। इसके साथ ही लौकी का कोफ्ता जिसे प्याज और लहसुन के बिना बनाया जाता है, स्वाद में इतना मोहक होता है कि इसे सिर्फ उपवास का भोजन नहीं कहा जा सकता। शकरकंद का हलवा, जो कभी गरीबों का खाना था, अब गुड़ और घी के साथ बनकर मौसमी मिठास और बचपन की यादें दिलाता है। सिंघाड़े के पकौड़े और कुट्टू की पूरी जैसे व्यंजन इस थाली को परंपरा और स्वाद दोनों का संगम बनाते हैं।

यह सात्विक भोजन न सिर्फ मोटापे और बीमारियों से बचाता है, बल्कि आधुनिक पोषण विज्ञान के नजरिए से भी यह ‘सुपरफूड’ की श्रेणी में आता है क्योंकि इनमें ग्लूटेन नहीं होता और ये विटामिन, मिनरल्स तथा एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होते हैं। कुट्टू, राजगीरा, सामा और सिंघाड़ा जैसे अनाजों का उपवास में सेवन से शरीर को दीर्घकालिक ऊर्जा मिलती है।


नवरात्र की थाली की खूबी यह है कि इसमें नवा चार और परंपरा का सुंदर मेल भी होता है। जैसे साबुदाना खिचड़ी को छोटे स्नैक के रूप में प्रस्तुत करना, या शकरकंद हलवे को टार्ट शेल में सजाना थाली को आधुनिक स्वाद के साथ परंपरागत रूप में भी आकर्षक बनाता है। यह थाली केवल खाने का माध्यम नहीं, बल्कि पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही सांस्कृतिक विरासत का एक जीवंत उदाहरण है।

इस त्योहार में मां और देवी की आशीर्वाद से जुड़ी यह थाली श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रतीक है जो न केवल पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाती है, बल्कि मन को शांति और आत्मा को बल प्रदान करती है। नवरात्र की थाली में छिपे इन व्यंजनों के पीछे न केवल स्वाद का जादू है, बल्कि हर निवाले के साथ एक कहानी, एक परंपरा और एक ताजगी भरी ऊर्जा मिलती है जो नवरात्र के पवित्र दिनचर्या को पूर्ण करता है।

Shradha Tulsyan

Shradha Tulsyan

First Published: Sep 21, 2025 4:18 PM

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