मानसून का मौसम बागवानी प्रेमियों के लिए खुशी तो लाता है, लेकिन साथ ही पौधों की देखभाल में कुछ चुनौतियां भी खड़ी करता है। खासतौर पर हिबिस्कस (गुड़हल) का पौधा, जो अपनी खूबसूरती और रंग-बिरंगे फूलों के लिए जाना जाता है, इस मौसम में थोड़ी अतिरिक्त देखभाल की मांग करता है। बारिश के समय ज्यादा नमी, जलभराव, कीट और फंगल इंफेक्शन जैसे मुद्दे हिबिस्कस की सेहत पर असर डाल सकते हैं। अगर समय रहते कुछ आसान लेकिन जरूरी उपाय अपनाए जाएं, तो ये पौधा मानसून के दौरान भी हरा-भरा और फूलों से भरपूर रह सकता है।
आज हम आपके लिए लेकर आए हैं कुछ ऐसे असरदार और प्राकृतिक टिप्स जो मानसून में हिबिस्कस की देखभाल को आसान बना देंगे। इन देसी उपायों की मदद से आप अपने गार्डन को सिर्फ हरा ही नहीं, बल्कि रंगों से भरपूर बना सकते हैं।
मानसून के दौरान मिट्टी में अधिक समय तक नमी रहने से हिबिस्कस की जड़ें सड़ सकती हैं। इसलिए सबसे जरूरी है कि पौधे के गमले या जमीन में जल निकासी (ड्रेनेज) का सही प्रबंध हो। अतिरिक्त पानी रुकने न दें और मिट्टी को समय-समय पर ढीला करते रहें।
तेज बारिश हिबिस्कस की नाजुक पत्तियों और फूलों को नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसे में इसे किसी ऐसे स्थान पर रखें जहां बारिश की बौछार सीधे न पड़े, लेकिन धूप का भी अच्छा प्रबंध हो। क्योंकि सूरज की रोशनी इसकी ग्रोथ और फूल आने के लिए जरूरी होती है।
मानसून में कीट और फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। नीम का तेल या कोई जैविक कीटनाशक सप्ताह में एक बार छिड़कें। इससे पत्तियों पर फंगस नहीं जमेगा और कीड़े-मकोड़ों से भी सुरक्षा मिलेगी।
जैसे ही बारिश का मौसम खत्म हो, पौधे की हल्की छंटाई करें। सूखी या कमजोर शाखाओं को हटाने से नई शाखाओं और फूलों के लिए जगह बनती है। इससे पौधा और भी घना और स्वस्थ बनता है।
हिबिस्कस की अच्छी वृद्धि के लिए मानसून के दौरान संतुलित जैविक खाद जरूर डालें। खासकर गोबर की खाद, वर्मीकंपोस्ट या घर की रसोई से बना जैविक कचरा इसका पोषण बढ़ाता है।
भारी और गीली मिट्टी पौधे को नुकसान पहुंचा सकती है। मानसून में समय-समय पर मिट्टी को हल्का फुलका करें ताकि हवा और पानी का बहाव बना रहे और जड़ें स्वस्थ रहें।
अगर इन जरूरी बातों का ध्यान रखा जाए, तो मानसून के दौरान हिबिस्कस पौधा न केवल हरा-भरा रहेगा, बल्कि बड़े और भव्य फूल भी देगा जो आपके गार्डन की शोभा बढ़ा देंगे।