हिंदू धर्म में नवरात्र के पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। नौ दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में मां दुर्गा की पूजा की जाती है। इन दिनों लोग अपने घरों में कलथ स्थापना करते हैं और व्रत रखते हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक ये पर्व मां दुर्गा की महिषासुर पर विजय की स्मृति में मनाया जाता है। नवरात्र के व्रत के दौरान सात्विक खाना खाने की सलाह दी जाती है। वहीं नवरात्र के दौरान प्याज-लहसुन का सेवन नहीं किया जाता है। प्याज-लहसुन के अलावा भी कुछ सब्जियां है, जिनको व्रत में नहीं खाया जाता है। आइए जानते हैं उनके बारे में।
नवरात्र में ये सब्जियां नहीं खानी चाहिए
आयुर्वेद एक्सपर्ट के मुताबिक, नवरात्र में प्याज और लहसुन नहीं खाए जाते, क्योंकि ये शरीर और दिमाग को ज्यादा उत्तेजित कर देते हैं। इस दौरान सादा और सात्विक खाना खाने की परंपरा है, ताकि मन शांत रहे और भक्ति में ध्यान लगा रहे। उपवास के दौरान कुछ खास सब्जियों का सेवन नहीं किया जाता, जैसे सेम, मटर, छोले, टमाटर, बैंगन, फूलगोभी, ब्रोकली और हरी पत्तेदार सब्जियां। कहा जाता है कि ये सब्जियां व्रत में ठीक नहीं होतीं, क्योंकि इन्हें पचाना थोड़ा मुश्किल होता है। नवरात्र में ऐसा खाना अच्छा माना जाता है जो हल्का हो और ताकत भी दे। इसलिए उपवास के दौरान लोग ज्यादातर आलू, शकरकंद और अरबी जैसी जड़ वाली सब्जियां खाते हैं।
नवरात्रि व्रत में कुछ सब्जियां नहीं खाई जातीं क्योंकि ये स्वास्थ्य और पाचन पर असर डाल सकती हैं। मटर को सब्जी और अनाज दोनों माना जाता है, इसलिए व्रत में वर्जित है। फूलगोभी, पत्तागोभी और ब्रोकली जैसी सब्जियां गैस और एसिडिटी बढ़ाती हैं, जबकि बैंगन तामसिक आहार की श्रेणी में आता है और इसमें मौजूद ऑक्सेलेट हड्डियों के लिए हानिकारक हो सकता है। इसी तरह मशरूम को अपवित्र माना गया है और यह पाचन संबंधी दिक्कतें भी दे सकता है। इसके अलावा व्रत में भिंडी, तोरई, बींस और पालक जैसी पत्तेदार सब्जियां भी वर्जित हैं। इसलिए उपवास के दौरान हल्की, सात्विक और आसानी से पचने वाली सब्जियों को ही खाना बेहतर माना जाता है।
व्रत में खा सकते हैं ये चीजें
सात्विक भोजन पूरी तरह शाकाहारी होता है, जिसमें ताजे फल, मेवे, सब्जियां, बीज, दूध और दूसरे नेचुरल चीजें शामिल होती हैं। आयुर्वेद मानता है कि ऐसा खाना हल्का होता है, आसानी से पच जाता है और बीमारियों से बचाता है। नवरात्र के व्रत में हर सब्जी नहीं खाई जाती, इसलिए लोग कुछ चुनिंदा चीजों पर ही निर्भर रहते हैं। इस समय समा के चावल, कुट्टू या सिंघाड़े के आटे से बने व्यंजन, साबूदाना, फल और थोड़ी बहुत खास सब्जियां ही खाई जाती हैं।