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Gardening tips: ना लगेगा पैसा, ना ज्यादा मेहनत, गर्मी में भी हरे-भरे रहेंगे पौधे, अपनाएं ये देसी ट्रिक

Gardening tips: गर्मी के मौसम में पौधे अक्सर सूखकर खत्म हो जाते हैं और सालों की मेहनत एक झटके में बर्बाद हो जाती है। लेकिन कुछ आसान उपाय अपनाकर उन्हें चिलचिलाती धूप से बचाया जा सकता है। बाग-बगीचा के माली ने इसके लिए एक बेहद सस्ती और कारगर ट्रिक सोशल मीडिया पर शेयर की है

अपडेटेड Jun 10, 2025 पर 7:56 AM
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Gardening tips: पेड़-पौधों की कटाई से निकले लकड़ी के टुकड़े और छाल को भी मल्च की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।

जून का महीना शुरू होते ही सूरज ने जैसे अपना प्रचंड रूप धारण कर लिया है। तपती धूप और लगातार बढ़ता तापमान न सिर्फ इंसानों के लिए मुश्किलें बढ़ा रहा है, बल्कि पेड़-पौधों की सेहत पर भी इसका असर साफ दिखने लगा है। खासकर गमलों और बगीचों में लगे नाजुक पौधे इस गर्मी से जल्दी मुरझा जाते हैं। ऐसे में अगर आप चाहते हैं कि आपके पौधे पूरे मौसम हरे-भरे और सेहतमंद बने रहें, तो आपको उनकी खास देखभाल करनी होगी। इसके लिए मल्चिंग एक बेहद आसान, असरदार और सस्ता उपाय है।

अच्छी बात ये है कि मल्चिंग के लिए किसी महंगे सामान की जरूरत नहीं होती, बल्कि घर में मौजूद कई चीजों से ही इसे किया जा सकता है। चाहे आप शौकिया माली हों या फिर बागवानी में नए-नए कदम रख रहे हों, मल्चिंग आपके गार्डन को गर्मी से बचाने का कारगर हथियार बन सकता है।

क्या है मल्चिंग?


मल्चिंग यानी पौधों की जड़ों के पास की मिट्टी को किसी जैविक या अजैविक सामग्री से ढक देना। जैसे कि सूखी पत्तियां, पुआल, घास, पेड़ की छाल, लकड़ी के टुकड़े या फिर गत्ते, प्लास्टिक शीट या कंकड़ भी हो सकते हैं। ये एक सुरक्षात्मक परत की तरह काम करता है जो गर्मी, हवा और बारिश से मिट्टी को बचाता है।

क्यों जरूरी है मल्चिंग?

नमी की रक्षा: मिट्टी में पानी लंबे समय तक बना रहता है।

खरपतवारों को रोकथाम: धूप न मिलने से अनचाही घास नहीं उगती।

मिट्टी का कटाव रोके: हवा या बारिश में मिट्टी नहीं बहती।

तापमान नियंत्रण: जड़ों को जरूरत से ज्यादा गर्मी से बचाता है।

उपजाऊ मिट्टी का निर्माण: जैविक मल्च धीरे-धीरे खाद का काम करता है।

मल्चिंग का देसी और सस्ता तरीका

अगर आपके पास बागवानी का बजट सीमित है, तो घबराइए मत। आपके घर में ही छिपे हैं बेहतरीन मल्चिंग के उपाय।

  1. पुराने गत्ते का कमाल

ऑनलाइन शॉपिंग के पैकेजिंग में जो गत्ते आते हैं, उन्हें फेंकने के बजाय काटकर गमले की मिट्टी पर बिछा दीजिए। ये धूप से मिट्टी की रक्षा करते हैं और नमी बनाए रखते हैं।

  1. सूखी पत्तियों की परत

अपने बगीचे या आसपास से गिरी हुई सूखी पत्तियां इकट्ठा करें और उन्हें पौधों की जड़ों के चारों ओर 2-4 इंच की मोटी परत में बिछा दें। ये धीरे-धीरे खाद में बदलकर मिट्टी को पोषक तत्व देती हैं।

  1. घास और छिलकों

घास की 4-6 इंच मोटी परत या फिर किचन वेस्ट—जैसे केले के छिलके, अंडे के छिलके का पाउडर, चायपत्ती या कॉफी ग्राउंड्स—को मल्च के रूप में इस्तेमाल करें। ये न सिर्फ नमी बचाएगा बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता भी सुधारेगा।

  1. लकड़ी और छाल का उपयोग

पेड़-पौधों की कटाई से निकले लकड़ी के टुकड़े और छाल को भी मल्च की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे न सिर्फ मिट्टी की रक्षा होगी, बल्कि बगीचे की खूबसूरती भी बढ़ेगी।

मल्चिंग करते वक्त किन बातों का रखें ध्यान?

मल्च को सीधे पौधे के तने से न सटाएं, 1-2 इंच का फासला रखें।

परत बहुत पतली न हो, 2 से 6 इंच मोटाई जरूरी है।

मल्च लगाने से पहले मिट्टी को अच्छी तरह से पानी देना न भूलें।

जैविक मल्च समय के साथ गलता है, इसलिए साल में एक-दो बार उसे बदलना पड़ता है।

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