हम अक्सर देखते हैं कि कुछ लोग धन-सम्पत्ति और ऐशो-आराम के साथ जन्म लेते हैं, लेकिन समय के साथ वे अपना सब कुछ खो बैठते हैं। वहीं, कुछ लोग बेहद साधारण परिस्थितियों से उठकर सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंच जाते हैं। इसका कारण क्या है? क्या कुंडली में राजयोग होना ही सफलता की गारंटी है, या इसके साथ परिश्रम भी आवश्यक है? ज्योतिष के अनुसार, राजयोग व्यक्ति को सफलता के बेहतरीन अवसर प्रदान करता है, लेकिन यदि वह इनका सही उपयोग नहीं करता, तो यह योग निष्क्रिय हो जाता है। आलस्य, लापरवाही और अनुशासनहीनता राजयोग को दरिद्र योग में बदल सकते हैं।
अगर कोई मेहनत से अपने कर्मों को मजबूत करता है, तो वह छोटे साधनों से भी समृद्धि हासिल कर सकता है। तो असली शक्ति किसमें है—भाग्य में या कर्म में? आइए इस रोचक विषय को विस्तार से समझते हैं।
राजयोग: सफलता की चाबी या सिर्फ एक अवसर?
लोकल 18 से बात करते हुए ज्योतिष आचार्य संतोष कुमार चौबे ने बताया कि, राजयोग का अर्थ है कि व्यक्ति के पास सफलता के सभी साधन मौजूद होते हैं—शुभ ग्रहों की स्थिति, संसाधन, और अवसर। लेकिन यदि वो मेहनत नहीं करता, तो ये योग किसी काम का नही रह जाता है।
अगर आपके पास एक शानदार कार है, लेकिन आप उसे चलाना ही नहीं जानते या उसे सही तरीके से इस्तेमाल नहीं करते, तो वो कार आपके किसी काम की नहीं होगी। ठीक इसी तरह, अगर किसी की कुंडली में राजयोग है, लेकिन वह आलसी और लापरवाह है, तो उसका ये योग भी बेकार हो सकता है।
जब राजयोग बन जाता है दरिद्र योग
अगर किसी व्यक्ति के पास अपार संपत्ति, अवसर और संसाधन हों, लेकिन वो उनका सही उपयोग न करे, तो धीरे-धीरे वो अपना सब कुछ खो सकता है।
कई लोग विरासत में करोड़ों की संपत्ति पाते हैं, लेकिन अनुशासनहीनता, बुरी आदतों और फैसलों की कमजोरी के कारण वे कंगाल हो जाते हैं।
इतिहास में कई राजा-महाराजाओं के उदाहरण मिलते हैं, जिनकी संतानें आलस्य और विलासिता के कारण अपना साम्राज्य गंवा बैठीं।
इसका सीधा अर्थ है कि अगर मेहनत का अभाव हो, तो राजयोग भी दरिद्रता में बदल सकता है।
कैसे करें राजयोग का सही उपयोग?
अगर आपकी कुंडली में राजयोग है, तो इसे प्रभावी बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण आदतें अपनानी होंगी:
परिश्रम को प्राथमिकता दें: कोई भी सफलता बिना मेहनत के संभव नहीं है। अपने कर्मों से अपने योग को सक्रिय करें।
अवसरों को पहचानें: सिर्फ भाग्य के भरोसे न बैठें, बल्कि अपने आसपास के अवसरों को समझें और उनका सही उपयोग करें।
आलस्य और लापरवाही से बचें: राजयोग तभी फलदायी होगा जब आप सक्रिय रहेंगे। निष्क्रियता आपके योग को बेकार कर सकती है।
संपत्ति और संसाधनों का प्रबंधन करें: धन और उपलब्ध संसाधनों को बुद्धिमानी से निवेश करें, ताकि वे लंबे समय तक स्थिर रहें।
योग्यता और कौशल विकसित करें: अपनी क्षमताओं को लगातार निखारें ताकि आप अपने राजयोग का पूरा लाभ उठा सकें।