Basant Panchami 2025: बंसत पंचमी एक ऐसा दिन है जब विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। वैदिक पंचांग के अनुसार यह पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, जो विशेष रूप से ज्ञान की प्राप्ति का दिन माना जाता है। इस दिन को सरस्वती पूजा भी कहते हैं।मां सरस्वती संगीत, कला और विद्या की देवी मानी जाती हैं। इस खास दिन को मनाने का उद्देश्य मां सरस्वती से ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति की कामना करना है। विशेष रूप से छात्रों और शिक्षकों के लिए यह दिन शुभ माना जाता है।
इस दिन को मनाने के लिए लोग मां के समक्ष पीले फूल, पीली मिठाई और पीला वस्त्र अर्पित करते हैं। इस पर्व का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। यह जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता लाने का प्रतीक है।
मां सरस्वती की पूजा की सही विधि
लोकल 18 से बात करते हुए काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि बंसत पंचमी की सुबह स्नान के बाद एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं और उस पर मां सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। फिर मां को पीला वस्त्र, पीले फूल और पीली मिठाई अर्पित करें। इसके अलावा, सरसों के फूल और धान की बाली भी अर्पित करें ताकि देवी की कृपा मिल सके।
जो बच्चे पढ़ाई में कमजोर हैं उन्हें बंसत पंचमी के दिन मां सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर के सामने अपनी किताबें रखकर पूजा करनी चाहिए और मां से ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति की कामना करनी चाहिए। ऐसा करने से बच्चों को विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है और वो पढ़ाई में सफलता प्राप्त करते हैं।
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 2 फरवरी को सुबह 11:54 बजे से शुरू होकर 3 फरवरी को सुबह 9:36 बजे तक रहेगी। इस हिसाब से बंसत पंचमी का पर्व 3 फरवरी को मनाया जाएगा।
बंसत पंचमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त
3 फरवरी को सुबह 7:10 बजे से 9:30 बजे तक का समय मां सरस्वती की पूजा के लिए अत्यधिक शुभ है। इसके अलावा, 10:02 बजे से 12:24 बजे तक भी पूजा का समय खास है। इन मुहूर्तों में पूजा करने से देवी सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है और विद्या में सफलता मिलती है।