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Chandra Grahan 2025: होलिका दहन के दिन होगा पूर्ण चंद्र ग्रहण, जानें सूतक काल का समय

Chandra Grahan 2025: साल 2025 का पहला ग्रहण मार्च महीने में लगेग। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा जोकि होली के दिन लगेगा। चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आने पर जब चंद्रमा ढक जाता है तब चंद्र ग्रहण लगता है। हिन्दू धर्म के अनुसार व्यक्ति पर चंद्र ग्रहण का असर शुभ और अशुभ दोनों तरह से हो सकता है

अपडेटेड Feb 04, 2025 पर 11:54 AM
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Chandra Grahan 2025: चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है। लेकिन इस घटना का ज्योतिषीय और वैज्ञानिक महत्व है।

इस साल 14 मार्च 2025 को होली का त्योहार मनाया जाएगा। इसी दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। यह ग्रहण ब्लड रेड मून होगा। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण को विशेष माना गया है। चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना होती है। यह पूर्णिमा तिथि पर होती है। जब पृथ्वी और चंद्रमा के बीच सूर्य आ जाता है, तो चंद्र ग्रहण लगता है। होली के दिन चंद्र ग्रहण लगने से इस बार कुछ खास लगने वाला है। साल का पहला चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। लिहाजा इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।

भारतीय समय के मुताबिक, पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को सुबह 9:29 बजे शुरू होगा। यह 10.39 बजे आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। इसके बाद 11.56 बजे पूर्ण चंद्र ग्रहण खत्म हो जाएगा। यानी चंद्र ग्रहण के समय भारत में दिन होगा। लिहाजा से भारत में नहीं देख पाएंगे। होलिका दहन का कार्यक्रम अपने हिसाब से चलेगा।

साल का पहला चंद्र ग्रहण कहां दिखाई देगा?


चंद्र ग्रहण को ही रेड मून कहा जाता है। दरअसल, पृथ्वी की घनी छाया से जब चांद पूरी तरह ढक जाता है तो इससे चंद्रमा चमकीला नहीं बल्कि लाल दिखता है। जिसे रेड मून कहा जाता है। साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, दक्षिणी उत्तरी ध्रुव, ऑस्ट्रेलिया, एशिया के कुछ हिस्से, अटलांटिक महासागर और यूरोप में दिखाई देगा। यह चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा और न ही इसका सूतक काल मान्य होगा।

जानिए कब लगता है चंद्रमा को ग्रहण?

विज्ञान के मुताबिक, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आ जाती है तो चंद्र ग्रहण लगता है। इसे अद्भुत खगोलीय घटना माना जाता है। वहीं ज्योतिष मे इसे समुद्र मंथन की कथा और राहु-केतु से जोड़ा जाता है। इसलिए ग्रहण लगने की घटना को धार्मिक नजरिए से शुभ नहीं माना जाता है।

कितनी तरह के होते हैं चंद्र ग्रहण?

पूर्ण चंद्र ग्रहण

पूर्ण चंद्र ग्रहण तब लगता है, जब पृथ्वी की छाया संपूर्ण चंद्रमा की सतह पर पड़ती है।

आंशिक चंद्र ग्रहण

आंशिक चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा का सिर्फ एक ही हिस्सा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है। इसमें ऐसा लगता है कि चंद्रमा सतह से काट रहा और पृथ्वी की छाया चंद्रमा के उस भाग में काली दिखाई देती है, जोकि पृथ्वी के नजदीक होती है।

पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण

इस तरह के ग्रहण में पृथ्वी की छाया का कुछ बाहरी भाग चंद्र सतह पर पड़ता है। यह ऊपर के दोनों ग्रहण से अलग होता है। ऐसे ग्रहण को देख पाना मुश्किल होता है।

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