दिवाली भारत का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। जिसे दीपों का त्योहार भी कहा जाता है। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की जीत, बुराई पर अच्छाई की जीत और ज्ञान पर अज्ञानता की जीत का प्रतीक है। दिवाली के दिन घरों को दीपों से सजाया जाता है। इस दिन पूरे घर पर अंधकार को दूर कर प्रकाश की रोशनी फैलाई जाती है। हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दिवाली का त्योहार पूरे देश में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। शुभ मुहूर्त में पूजा करने ही फायदेमंद होता है। मान्यता है कि मां लक्ष्मी को को साफ-सफाई प्रिय है। मां लक्ष्मी का वास साफ-सफाई वाली जगहों पर ही होता है।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का विशेष विधान है। इस दिन संध्या और रात्रि के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, विघ्नहर्ता भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा और आराधना की जाती है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न और अमावस्या तिथि पर करना सबसे अच्छा होता है। ऐसी मान्यता है प्रदोष काल और स्थिर लग्न में मां लक्ष्मी की पूजा और आवहन करने पर माता लक्ष्मी घर पर अंश रूप में ठहर जाती हैं। दिवाली का उत्सव और लक्ष्मी पूजन करना तभी उत्तम रहता है जब प्रदोष से लेकर निशिथा काल तक अमावस्या तिथि रहे।
दिवाली पर महालक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के लिए सभी मुहूर्त और चौघड़िया के समय को मिलाकर 31 अक्टूबर 2024 को शाम 05.32 बजे से लेकर रात 08.51 बजे तक लक्ष्मी पूजन करना सबसे अच्छा रहेगा। वैदिक पंचांग के अनुसार 31 अक्टूबर प्रदोष काल की शुरुआत शाम 05.48 बजे से शुरू हो जाएगा। यह रात 8.21 बजे तक रहेगा। वहीं स्थिर वृषभ लग्न की शुरुआत शाम 06.35 बजे से लेकर रात 08.33 बजे तक रहेगा।
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 05:32 से 08:51 तक
प्रदोष काल - 05:48 से 08:21
वृषभ काल - 06:35 से 08:33
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:36 से 06:02 तक
संध्या पूजा- शाम 05:36 से 06:54 तक
निशिथ काल पूजा-रात्रि 11: 39 से 12: 31 तक
सुबह जल्दी उठकर पूरे घर की अच्छे से साफ सफाई करें। ध्यान रखें दिवाली के दिन घर के किसी भी कोने में धूल या गंदगी जमा नहीं होनी चाहिए। सफाई के बाद स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद घर के मंदिर या पूजा स्थल में पूजा अर्चना करें। इसके बाद शाम के समय की पूजा के लिए पूरे घर को फूल और पत्तियां से सजाएं। दरवाजों पर तोरण लगाएं। घर के मुख्य द्वार को विशेष रूप से सजाएं। मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए मुख्य द्वार और पूजा स्थल के पास रंगोली बनाएं।
अब पूजा के लिए एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर लक्ष्मी गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। इस दिन धन की भी पूजा की जाती है। इसलिए पूजा स्थल पर धन भी जरूर रखें। कुबेर जी की भी तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें। पूजा स्थल पर फूल, रंगोली और चंदन से सजावट करें। अब शुद्ध घी का दीपक और सुगंधित धूप जलाकर गणेश जी, लक्ष्मी जी और कुबेर जी को रोली, अक्षत, फूल आदि अर्पित करें। फिर आरती करें। आप चाहें तो पूजा के दौरान लक्ष्मी मंत्र और कुबेर मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। पूजा के बाद भोग लगाएं। इस दिन मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाना बहुत शुभ माना जाता है। पूजा के बाद पूरे घर में दीपक जलाएं।