देश भर में आज गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जा रहा है। इसे अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह हिंदुओं के बड़े त्योहारों में से एक है। दिवाली के पांच दिन के उत्सव में एक दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा का उत्तर भारत में खासकर ब्रज भूमि मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, गोकुल, बरसाना में इसका अधिक महत्व है। गोवर्धन पूजा में गौ धन यानी गायों की पूजा की जाती है। गायों को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। दिवाली के ठीक बाद गोवर्धन पूजा की जाती है।
गोवर्धन पूजा लोग अलग-अलग तरह से करते हैं। इसलिए देश भर में खास रौनक देखने को मिलती है। इस शुभ अवसर पर गाय के गोबर से भगवान श्रीकृष्ण का चित्र बनाया जाता है। जिनकी शुभ मुहूर्त के दौरान विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। इसके साथ ही प्रभु के प्रिय भोग अर्पित किए जाते हैं। इस दिन नए अनाज का शुभारंभ भगवान को भोग लगाकर किया जाता है। मुख्य मंदिरों में कढ़ी-चावल, खीर, मिठाईयां, पुवा, पूड़ी आदि बनाई जाती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा की तिथि 1 नवंबर को शाम 6.16 बजे से शुरू हो गई है। इसका समापन 2 नवंबर को रात 8.21 बजे होगा। ऐसे में उदयातिथि के तहत गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को मनाई जा रही है। गोवर्धन पूजन के लिए आज तीन सबसे शुभ रहेंगे। एक मुहूर्त सुबह 6.34 बजे से लेकर सुबह 8.46 बजे तक है। दूसरा मुहूर्त दोपहर 3.23 बजे से शाम 5.35 बजे तक है। तीसरा मुहूर्त शाम को शाम 5.35 बजे से लेकर 6.01 बजे तक रहेगा। गोवर्धन पूजा के लिए सुबह का समय बेहतर माना गया है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों को भगवान इंद्र के गुस्से से बचाया था। इसके साथ ही भगवान इंद्र को उनकी गलती का एहसास कराया था। उस समय से ही भगवान कृष्ण के उपासक उन्हें गेहूं, चावल, बेसन से बनी सब्जी और पत्तेदार सब्जियां अर्पित करते हैं।
गोवर्धन पूजा के दिन सुबह गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति बनाएं। फिर मूर्ति को फूलों और रंग से सजाएं। गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें। भगवान को फल, जल, दीपक, धूप और उपहार अर्पित करें। फिर कढ़ी और अन्नकूट चावल का भोग लगाएं। इस दिन गाय, बैल और भगवान विश्वकर्मा की पूजा करें। पूजा के बाद गोवर्धन पर्वत की सात बार परिक्रमा करें। अंत में जल हाथ में लेकर मंत्र का जाप करें और आरती करके पूजा का समापन करें।
गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।
विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।।
अन्नकूट क्यों मनाया जाता है?
अन्नकूट उत्सव गोवर्धन पूजा के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण को कई तरह के अन्न का मिश्रण भोग के रूप में चढ़ाया जाता है। गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाने की भी परंपरा है। गोवर्धन पूजा को कई जगहों पर अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। इस दिन गेहूं, चावल जैसे अनाज, बेसन से बनी कढ़ी और पत्ते वाली सब्जियों से बने भोजन को पकाते हैं। फिर भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाता है।