उत्तर प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि महाकुम्भ 2025 के दौरान देश-दुनिया से करीब 40-45 करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचेंगे। 45 दिन तक आयोजित होने वाले इस आयोजन के दौरान के दौरान करीब दस लाख कल्पवासियों के स्थायी रूप से मेला क्षेत्र में रहने की उम्मीद जताई जा रही है। अन्य श्रद्धालु मेला क्षेत्र में आते-जाते रहते हैं। पूरे आयोजन के दौरान के श्रद्धालुओं-कल्पवासियों के भोजन के लिए अनाज, सब्जी, एलपीजी की सप्लाई की व्यापक व्यवस्था की गई है।
सरकार की तरफ से राशन की दुकानें
राज्य सरकार द्वारा अनाज और एलपीजी की सप्लाई के लिए पूरे मेला क्षेत्र में 160 दुकानों की व्यवस्था की जाएगी। लंबे समय तक रहने वाले कल्पवासियों के लिए राशन कार्ड की व्यवस्था की जाएगी। जिनके पास पहले से राशन कार्ड मौजूद है, उन्हें भी फ्री राशन मुहैया कराया जाएगा।
सरकार इस बात का खयाल भी रही है कि राशन की कोई बर्बादी या कालाबजारी न होने पाए। इसके लिए राशन कार्ड्स पर क्यूआर कोड का इस्तेमाल किया जाएगा जिससे यह सनिश्चित किया जा सके कि अनाज, एलपीजी जैसी सुविधाएं सही व्यक्ति के पास पहुंच रही हैं। इसका पूरा डेटा सेंट्रल सर्वर से संचालित किया जाएगा।
अनाज का पर्याप्त भंडार बनाए रखने के लिए पांच वेयर हाउस तैयार किए गए हैं। राज्य सरकार ने राशन की व्यवस्था के लिए 43 करोड़ रुपये का फंड जारी किया है। हर राशनकार्ड धारक को एक बार में तीन किलो गेंहू या आटा, 2 किलो चावल और दो किलो चीनी मुहैया कराए जाएंगे।
राशन की व्यवस्था से इतर सरकार द्वारा एलपीजी के लिए अलग से सेंटर्स बनाए जाएंगे। इन दुकानों से कल्पवासी अस्थाई तौर पर घरेलू गैस का कनेक्शन हासिल कर सकेंगे। इसके अलावा मेले के दौरान एक गैस सिलेंडर भी दिया जाएगा। साथ ही हर राशन कार्ड पर 2 लीटर केरोसिन तेल भी मुहैया कराया जाएगा।
कल्पवासियों की भोजन व्यवस्था
बता दें कि कुम्भ या फिर प्रयागराज में हर साल आयोजित होने वाले मेले में बड़ी संख्या में ऐसे भी कल्पवासी शामिल होते हैं जो अनाज बाहर से नहीं खरीदते। प्रयाग के आसपास के जिलों से आने वाले ये कल्पवासी राशन व्यवस्था अपने साथ लेकर आते हैं। ईंधन की व्यवस्था ये लोग मेले में मौजूद सरकारी दुकानों से केरोसिन तेल या फिर एलपीजी लेकर करते हैं।
अखाड़ों की व्यवस्था और उनके भंडारे
महाकुम्भ या फिर कुम्भ के दौरान देश के लिए सभी बड़े अखाड़े मेला क्षेत्र में आते हैं। इन अखाड़ों के लिए बड़े क्षेत्र में पांडाल मुहैया कराए जाते हैं। सामान्य तौर पर अखाड़ों में सामुदायिक किचन और भंडारे का चलन रहता है और हर दिन हजारों की संख्या में लोग भोजन करते हैं। इसके लिए अखाड़े स्थानीय स्तर खरीद करते हैं।
स्थानीय स्तर पर अनाज और सब्जियों की सप्लाई
मेला क्षेत्र में अस्थाई रूप से रहने वाले श्रद्धालु क्षेत्र में मौजूद दुकानों से सब्जी और अनाज की खरीद करते हैं जिनकी सप्लाई आस-पास के कई जिलों से की जाती है। प्रयाग के नजदीक प्रतापगढ़, कौशांबी और भदोही जैसे जिलों से किसान सब्जी और अनाज की सप्लाई करते हैं।
सूखे मेवे की सप्लाई के लिए ऑर्डर
महाकुम्भ में सूखे मेवे की सप्लाई भी बड़े स्तर पर होती है। माना जा रहा है कि केवल कुम्भ के दौरान करीब 250 टन मेवे की सप्लाई हो सकती है। इसके लिए कई राज्यों से सूखे मेवे मंगाए गए हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी के पहले हफ्ते में 120 टन सूखे मेवे का स्टॉक प्रयाग पहुंच जाएगा। स्थानीय मेवा बाजार ने इसका ऑर्डर दिया है। दरअसल कुम्भ के दौरान खाद्य सामग्रियों से लेकर प्रसाद तक में सूखे मेवे का इस्तेमाल प्रचुर मात्रा में किया जाता है।
साफ पानी के लिए 1250 किमी लंबी पाइप लाइन
पूरे मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं और कल्पवासियों के लिए पेयजल की व्यवस्था की गई है। इसके लिए मेला प्रशासन ने 1250 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन की व्यवस्था की है जो पूरे क्षेत्र में फैली हुई होगी। 40 करोड़ रुपये की लागत से जल निगम नगरीय कार्य कर रहा है। मेला क्षेत्र में 56 हजार कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है।