Maha kumbh 2025: सनातन धर्म में महाकुंभ का बेहद महत्व है। कहा जाता है कि महाकुंभ के वक्त प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में शाही स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। कुंभ मेला हर तीन साल में होता है, लेकिन महाकुंभ का आयोजन 144 वर्षों में एक बार होता है। इस दौरान कई धार्मिक आयोजन और स्नान होते हैं, जो व्यक्ति के जीवन को शुद्ध और पवित्र करने का अवसर प्रदान करते हैं। 2025 में एक दुर्लभ शुभ संयोग बन रहा है, जिससे यह महाकुंभ विशेष महत्व का होगा। हालांकि, महाकुंभ का आयोजन 2013 में भी प्रयागराज में हुआ था, लेकिन 2025 का कुंभ पूर्ण कुंभ है, जो हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है।
कहा जाता है कि कुंभ मेले में गंगा नदी में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर लाखों लोग आकर धार्मिक अनुष्ठान, स्नान और पूजा करते हैं। महाकुंभ हिंदू धर्म के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इसे एक अवसर के रूप में देखा जाता है, जहां लोग आध्यात्मिक उन्नति और पुण्य प्राप्त करते हैं।
प्रयागराज का खास कुंभ मेला
प्रयागराज में होने वाला महाकुंभ सबसे बड़ा और खास इसलिए माना जाता है क्योंकि यह गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम पर आयोजित होता है, जो हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है। यहां लाखों लोग स्नान करने आते हैं और इसे पापों से मुक्ति पाने का अवसर माना जाता है। महाकुंभ के दौरान खास शाही स्नान होते हैं, जहां लोग पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं। यह मेला न केवल धार्मिक है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण होता है
महाकुंभ मेला के दौरान छह शाही स्नान होंगे:
पहला शाही स्नान 13 जनवरी 2025 को होगा।
दूसरा शाही स्नान 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के दिन होगा।
तीसरा शाही स्नान 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या पर होगा।
चौथा शाही स्नान 2 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी पर होगा।
पांचवां शाही स्नान 12 फरवरी 2025 को माघ पूर्णिमा पर होगा।
अंतिम शाही स्नान 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि पर होगा।
महाकुंभ मेले में रवि योग बन रहा है, जो 13 जनवरी 2025 को सुबह 7:15 बजे से 10:38 बजे तक रहेगा। यह समय विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा, भद्रवास योग भी इस दिन बन रहा है, जो पूजा और धार्मिक कार्यों के लिए फलदायी होता है।