महाशिवरात्रि व्रत हर साल फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस साल यह व्रत 26 फरवरी, बुधवार को है। वैसे शिवरात्रि हर महीने आती है। जिसे मासिक शिवरात्रि और चतुर्दशी व्रत के नाम से जाना जाता है। इस तरह साल में कुल 12 शिवरात्रि आती है। लेकिन इन सभी में फाल्गुन महीने शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम जाता है। महाशिवरात्रि का व्रत हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख व्रतों में से एक होता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है। महाशिवरात्रि का व्रत रखने से और विधि- विधान के साथ शिव जी की पूजा करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है।
मनचाहे वर के लिए भी महाशिवरात्रि का व्रत बहुत ही लाभकारी माना गया है। शिव जी आराधना के लिए और कृपा प्राप्त करने के लिए महाशिवरात्रि का दिन सबसे उत्तम माना जाता है। साल 2025 में फाल्गुन माह 13 फरवरी से शुरू हो जाएगा। यह 14 मार्च तक चलेगा। महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का दिन है। इस दिन शिव-पार्वती का विवाह हुआ था। आइए जानते हैं साल 2025 में महाशिवरात्रि का व्रत कब रखा जाएगा।
महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के मुताबिक, चतुर्दशी तिथि 26 परवरी 2025 को सुबह 11.08 बजे शुरू हो जाएगी। इसके बाद 27 फरवरी 2025 को सुबह 08.54 बजे खत्म हो जाएगी। ऐसे में महाशिवरात्रि का व्रत 26 फरवरी 2025 को रखा जाएगा। शिव पूजा का मुहूर्त 26 फरवरी को रात 12.09 बजे से रात 12.59 बजे तक रहेगा। यह निशिता काल है। वहीं रात्रि के पहले प्रहर में 26 फरवरी को शाम 6.19 बजे से रात 09.26 बजे तक कर सकते हैं। दूसरे प्रहर में पूजा का समय रात 09.26 बजे से रात 12.34 बजे तक कर सकते हैं। इसी तरह तीसरे प्रहर में रात 12.34 बजे से रात 03.4 बजे तक 27 फरवरी को कर सकते हैं। महाशिवरात्रि का व्रत पारण 27 फरवरी 2025 को किया जाएगा। व्रत पारण का शुभ मुहूर्त सुबह 06.48 बजे से सुबह 08.54 बजे तक है।
महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा का महत्व
महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ बेहद प्रसन्न मुद्रा में होते हैं। कहते हैं कि इस दिन भोलेनाथ धरती पर जितने भी शिवलिंग हैं। उन सभी में साक्षात रूप से वास करते हैं। इसलिए भक्तों की थोड़ी भक्ति से ही प्रसन्न होकर उनकी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं। इस रात में रात्रि जागरण और भजन कीर्तन का बड़ा ही महत्व है। इसलिए महाशिवरात्रि पर चार प्रहर की विशेष पूजा और रुद्राभिषेक भी भक्तजन करवाते हैं। कहते हैं कि इससे अनिष्ट की शांति होती है।
शिवलिंग और महाशिवरात्रि का संबंध
एक मान्यता यह भी है कि भगवान शिव का तेजोमय अग्निपुंज जिसे शिवलिंग के नाम से जाना जाता है। वह भी महाशिवरात्रि को ही प्रकट हुआ था। शिवरात्रि के दिन ही शिवजी की इच्छा से सृष्टि का आरंभ हुआ है। प्रलय काल में भगवान में महाशिवरात्रि को ही सृष्टि समा जाएगी।