प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की प्रशासनिक और सुरक्षा व्यवस्था के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। इस बार पूरे मेला क्षेत्र में 50 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी श्रद्धालुओं की सुरक्षा का खयाल रखेंगे। दरअसल विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक जुटान होने के नाते कुंभ में आपराधिक और आतंकी घटनाओं का खतरा भी बना रहता है। सरकार इन खतरों के प्रति पूरी तरह सतर्क है और साथ ही श्रद्धालुओं-शहरवासियों की सुरक्षा व्यवस्था के भी खास इंतजाम मेले के दौरान किए जाएंगे। पुलिस की भूमिका सिर्फ पुलिसिंग तक सीमित न रहकर श्रद्धालुओं के लिए एक ‘फ्रेंडली गाइड’ की भी होने वाली है।
त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था
श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए मेला प्रशासन ने तीन स्तरीय व्यवस्था तैयार की है। यह व्यवस्था 13 जनवरी से पूर्ण रूप से काम करने लगेगी यानी मेले के पहले दिन से। मेला क्षेत्र में घुसते वक्त ही कई जगह पर चेक प्वाइंट्स लगाए गए हैं जो पहले स्तर पर ही मेला क्षेत्र में पहुंचने वाले व्यक्ति पर निगाह रखेगी। इसके अलावा अंडर वाटर ड्रोन्स का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके पानी के भीतर की गतिविधियों पर भी निगाह रखी जा सकेगी।
साथ ही मेला क्षेत्र और आस-पास के मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनक तकनीक जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस कैमरे, ड्रोन, एंटी-ड्रोन, टीथर्ड ड्रोन का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा श्रद्धालुओं की साइबर सिक्योरिटी के लिए प्रशासन ने साइबर पेट्रोलिंग और साइबर सुरक्षा के कई कदम उठाए हैं।
पहली बार साइबर पुलिस थाना
कुंभ के इतिहास में पहली बार मेला क्षेत्र में साइबर थाना भी बनाया गया है। पुलिस ने फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन की टीम हायर की है जो आईआईटी कानपुर की टीम के साथ मिलकर साइबर पेट्रोलिंग की व्यवस्था को देखेंगे। मेला क्षेत्र में 2700 सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे जो एआई क्षमता से भरपूर होंगे। ये कैमरे भीड़ ज्यादा होने पर, बैरिकेड जंपिंग, धुंआ उठने जैसी स्थितियों में अलर्ट भी जारी कर सकेंगे।
जल पुलिस की अहम जिम्मेदारी
कुंभ के दौरान, विशेष रूप से स्नान के दिन जल पुलिस बेहद अहम जिम्मेदारी निभाएगी। इसके लिए 12 किलोमीटर के इलाके में रीवर ट्रैफिक सिस्टम भी बनाया गया है। इस रिवर ट्रैफिक सिस्टम के तहत ही करीब 4000 नाव चलेंगी जिसके जरिए श्रद्धालु त्रिवेणी संगम का आनंद उठा सकेंगे।
50 स्नान घाटों पर जल पुलिस निगरानी रखेगी। स्नान के दौरान श्रद्धालु गहरे पानी में न चले जाएं, इसके लिए ब्लॉक्स और जालियां लगाई गई हैं। अतिरिक्त सुरक्षा के लिए भारतीय नेवी के 25 गोताखारों के साथ पीएसी, एसडीआरएफ और एनडीआएफ का टीम भी लगाई जाएंगी। सुरक्षा अभियान के लिए पीएसी की दस कंपनी के करीब 800 जवान, एसडीआरएफ के 150 सदस्य, एनडीआरएफ की 12 टीमें और जल पुलिस के 35 जवान तैनात रहेंगे।
स्नान के दिनों पर शहर बनेगा नो व्हिकल जोन
कुंभ के दौरान सबसे ज्यादा भीड़ स्नान के दिनों में उमड़ती है। इसी क्रम में मेला प्रशासन ने विशेष प्लान तैयार किया है। इसके तहत 6 स्नान के दौरान तीन दिनों तक पूरा मेला क्षेत्र नो व्हिकल जोन में तब्दील कर दिया जाएगा। स्नान के एक दिन पहले, स्नान के दिन और स्नान के एक दिन बाद तक मेला क्षेत्र नो व्हिकल जोन रहेगा। इस प्लान के तहत ट्रैफिक पुलिस पूरे मेला क्षेत्र में गाड़ियों पर निगाह रखेगी।
गाड़ियों को रोक कर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि श्रद्धालुओं को संगम मार्ग में किसी भी तरह की तकलीफ का सामना न करना पड़े। नो व्हिकल जोन की यह व्यवस्था पौष पूर्णिमा, मकर संक्रांति, बसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महाशिरात्रि के दिन होगी।
योगी सरकार ने स्नान के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर गोताखोरों, नाविकों, गाइड्स और दुकानदारों के लिए स्पेशल ट्रैकसूट्स पेश किए हैं। इन विशेष यूनिफॉर्म में होने की वजह से सर्विस प्रोवाइडर्स को आसानी के साथ पहचाना जा सकेगा।