गेहूं और चीनी के निर्यात पर बैन लगाने के बाद सरकार अब चावल के एक्सपोर्ट पर भी बैन लगाने का फैसला कर सकती है। घरेलू बाजार में चावल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने और चावल की कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए सरकार को ऐसा कदम उठाना पड़ सकता है। इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय की अध्यक्षता वाली एक कमेटी फिलहाल गैर-बासमती चावल सहित सभी जरूरी कमोडिटी का अध्ययन कर रही है और अगर इनकी कीमतों में थोड़ी भी तेजी का संकेत मिलता है, तो सरकार इसे रोकने के लिए तुरंत उपायों का ऐलान कर सकती है।
एक अधिकारी ने बताया, "महंगाई को रोकने के लिए उच्च स्तर पर कार्रवाई जारी है। कीमतों पर नजर रखने वाली कमेटी सभी जरूरी कमोडिटी को लेकर बैठकें कर रही हैं और आगे के कदम को लेकर फैसला कर रहे हैं।"
चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादन करने वाला देश है और वित्त वर्ष 2022 के दौरान इसने 150 से अधिक देशों को चावल एक्सपोर्ट किया था। वहीं एक दूसरे अधिकारी ने बताया कि कुल 5 कमोडिटी के एक्सपोर्ट पर बैन लगाने पर विचार किया गया था, जिसमें से गेहूं और चीन पर फैसला लिया जा चुका है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चावल के एक्सपोर्ट को भी चीनी की तरफ प्रतिबंधित किया जा सकता है। यानी 1 करोड़ टन से अधिक के चावल एक्सपोर्ट की इजाजत नहीं होगी।
चावल के एक्सपोर्ट पर रोक लगाने की यह खबर ऐसे समय में आई है, जब देश में खुदरा महंगाई अपने 8 सालों के उंचे स्तर पर है। अप्रैल में खुदरा महंगाई 7.79% दर्ज की गई थी, जो 8 सालों का इसका सबसे ऊंचा स्तर है। इसके चलते सरकार को महंगाई को कम करने के उपायों को उठाना पड़ रहा है।
महंगाई पर लगाम लगाने की कोशिश के तहत हाल ही में सरकार ने पेट्रोल और डीजल में एक्साइज ड्यूटी घटाने का ऐलान किया था। साथ ही उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों के लिए प्रत्येक गैस सिलिंडर पर 200 रुपये की सब्सिडी का ऐलान किया था।