इंडिया ने रूस को नॉन-ट्रेड बैरियर्स घटाने को कहा है। साथ ही रूस से रूपी ट्रेड जारी रखने की भी अपील की है। इससे फ्री-ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) का रास्ता खुलेगा। एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी। रूस की अगुवाई वाले यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (ईएईयू) और भारत के बीच अगस्त में बातचीत हुई थी। इसमें इंडिया ने रूस के नॉन-टैरिफ बैरियर्स का मसला उठाया।
नॉन-टैरिफ बैरियर्स से बढ़ रहा भारत का व्यापार घाटा
भारत ने रूस से कहा कि नॉन-टैरिफ बैरियर्स का असर निर्यात पर पड़ रहा है। अधिकारी ने बताया कि इससे भारत का व्यापार घाटा बढ़ रहा है। इससे भारत को रूस को ऑयल का पेमेंट करने में दिक्कत आ रही है। EAEU के सदस्यों में रूस के अलावा अर्मेनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान और किर्गीज रिपब्लिक शामिल हैं। अधिकारी ने बताया, "इंडिया-ईएईयू के बीच एफटीए की संभावना दिख रही है।"
भारत के साथ एफटीए में ईएईयू की भी दिलचस्पी
उन्होंने कहा कि एफटीए में ज्यादा दिचस्पी ईएईयू की दिख रही है। उन्होंने कहा, "हमने इस बात पर जोर दिया है कि जब तक नॉन-टैरिफ बैरियर्स के मसले का समाधान नहीं हो जाता है, तब तक हमें इस बात का विश्वास नहीं है कि ट्रेड डील होने के बाद भी दोनों पक्षों में व्यापार बढ़ पाएगा।" यूनाइटेड नेशंस ट्रेड एंड डेवलपमेंट के मुताबिक, नॉन-टैरिफ मेजर्स (NTM) पॉलिसी के स्तर पर ऐसे उपाय हैं, जिनका असर गुड्स के इंटरनेशनल ट्रेड पर पड़ता है।
भारत रूस को रुपये में पेमेंट जारी रखना चाहता है
कई एनटीएम का मकसद पब्लिक हेल्थ और इनवायरमेंट की सुरक्षा है, लेकिन इंफॉर्मेशन, कंप्लायंस और प्रोसिजरल कॉस्ट के रूप में इनका काफी असर ट्रेड पर पड़ता है। अधिकारी ने बताया कि भारत प्रस्तावित डील के जरिए रुपये में होने वाले ट्रेड को जारी रखना चाहता है। इससे भारत से रूस को निर्यात बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
रूस के साथ 100 अरब डॉलर से ज्यादा व्यापार का टारगेट
इंडिया और ईएईयू के बीच 20 अगस्त को मास्को में एफटीए के लिए टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) पर सहमति बनी। ToR के आधार पर आगे की बातचीत होगी। इंडिया और ईएईयू के बीच व्यापार तेजी से बढ़ रहा है। यह 2023 के मुकाबले 7 फीसदी बढ़कर 2024 में 69 अरब डॉलर पहुंच गया। भारत और रूस पहले से ही द्विपक्षीय व्यापार 2030 तक बढ़ाकर 100 अरब डॉलर के पार ले जाना चाहते हैं।