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Budget 2024: ग्रीन हाइड्रोजन और इको फ्रेंडली फ्यूल के लिए फंड आवंटन चाहता है एनर्जी सेक्टर

भारत के एनर्जी सेक्टर को उम्मीद है कि आगामी बजट में ग्रीन हाइड्रोजन और नेचुरल गैस जैसे साफ-सुथरे ईंधन पर जोर ज्यादा होगा। ऑयल एंड गैस सेक्टर को उम्मीद है कि सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन (CGD) के कुछ खिलाड़ियों के लिए रिफॉर्म्स संबंधी घोषणाएं की जाएंगी, ताकि देश में नेचुरल गैस की खपत को बढ़ावा दिया जा सके

अपडेटेड Jan 17, 2024 पर 8:11 PM
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Budget 2024: नर्जी सेक्टर को उम्मीद है कि आगामी बजट में ग्रीन हाइड्रोजन और नेचुरल गैस जैसे साफ-सुथरे ईंधन पर जोर ज्यादा होगा।

एनर्जी सेक्टर चाहता है कि 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले अंतरिम बजट में एनर्जी ट्रांजिशन और साफ-सुथरे ईंधन के लिए फंडों के आवंटन पर फोकस हो। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया जाने वाला यह बजट अंतरिम बजट है, क्योंकि अप्रैल-मई 2024 में आम चुनाव होने हैं। हालांकि, बजट में अहम ऐलान होने की संभावना नहीं है, क्योंकि वित्त वर्ष 2025 के लिए पूरा बजट नई सरकार के गठन के बाद पेश किया जाएगा।

बहरहाल, भारत के एनर्जी सेक्टर को उम्मीद है कि आगामी बजट में ग्रीन हाइड्रोजन और नेचुरल गैस जैसे साफ-सुथरे ईंधन पर जोर ज्यादा होगा। ऑयल एंड गैस सेक्टर को उम्मीद है कि सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन (CGD) के कुछ खिलाड़ियों के लिए रिफॉर्म्स संबंधी घोषणाएं की जाएंगी, ताकि देश में नेचुरल गैस की खपत को बढ़ावा दिया जा सके। इसके अलावा, पावर सेक्टर कुछ ऐसे ऐलानों की उम्मीद कर रहा है, जिससे रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा मिल सके।

कैसा रहा पिछला साल


ऑयल एंड गैस सेक्टर के लिए 2023 काफी उल्लेखनीय रहा। मध्य-पूर्व के देशों में तनाव की वजह से कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। पहली छमाही में कच्चा तेल सस्ता रहा और इस दौरान यह 80 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। हालांकि, दूसरी छमाही में इसकी कीमतों ने रफ्तार पकड़ी और यह 90 डॉलर तक पहुंच गया। इजराइल और हमास के बीच तनाव बढ़ने के बाद इसमें और तेजी देखने को मिली। हालांकि, मार्केट में जरूरत से ज्यादा सप्लाई होने की वजह से साल के आखिर में कच्चा तेल 80 डॉलर प्रति बैरल से नीचे पहुंच गया। पावर सेक्टर की बात करें, तो पिछले साल भारत में पीक पावर डिमांड 240 गीगावॉट रही। सितंबर में ऐसा देखने को मिला। पावर मिनिस्ट्री ने बिजली की पीक डिमांड 230 मेगावाट रहने का अनुमान जताया था।

ऑयल एंड गैस सेक्टर की उम्मीदें

ऑयल एंड गैस सेक्टर चाहता है कि फाइनेंस मिनिस्टर ग्रीन और रिन्यूएबल एनर्जी की स्थिति सुधारने के मद में कुछ खर्च बढ़ाएं। कई ऑयल पीएसयू (PSUs) तेजी से नेट-जीरो टारगेट की तरफ बढ़ रहे हैं और रिन्यूएबल एनर्जी के साधनों में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं। सीतारमण ने पिछले बजट में सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के एनर्जी ट्रांजिशन के लिए 30,000 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। हालांकि, इन कंपनियों को अब तक यह राशि आवंटित नहीं की गई है। इसके अलावा, इस सेक्टर को उम्मीद है कि नेचुरल गैस की खपत को बढ़ावा देने और लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) को कस्टम ड्यूटी से छूट के लिए बजट में ऐलान किए जा सकते हैं।

क्या चाहता है पावर सेक्टर

पावर एंड ग्रीन एनर्जी इंडस्ट्री का मानना है कि सरकार का फोकस अब ग्रीन हाइड्रोजन पर शिफ्ट हो जाना चाहिए, क्योंकि पिछले कुछ साल में सोलर और विंड एनर्जी को बढ़ावा दिया गया है, जिससे उनकी इंस्टॉल्ड और मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। पावर सेक्टर चाहता है कि सरकार एनर्जी स्टोरेज सॉल्यूशंस के लिए पॉलिसी इंसेंटिव का ऐलान करे। इसके अलावा, इंडस्ट्री के खिलाड़ियों का कहना है कि रिन्यूएबल सेक्टर को कम ब्याज दर पर लोन और इनोवेटिव फाइनेंसिंग मॉडल के जरिये डिवेलपर्स और इक्विपमेंट सप्लायर्स की क्षमता मजबूत होगी।

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