वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के डिसइनवेस्टमेंट, एसेट मॉनेटाइजेशन और डिविडेंड्स से 1 लाख करोड़ रुपये के टारगेट में बदलाव करने की उम्मीद नहीं है। सरकार ने इस साल 1 फरवरी को पेश अंतरिम बजट में नॉन-फाइनेंशियल सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज (सीपीएसई) में विनिवेश, एसेट मॉनेटाइजेशन और डिविडेंड के लिए एक लाख करोड़ रुपये का टारगेट तय किया था। इकोनॉमिक टाइम्स ने यह खबर दी है।
अंतरिम बजट में 48,000 करोड़ डिविडेंड कलेक्शन का अनुमान
1 फरवरी को पेश अंतरिम बजट में सरकार के डिसइनवेस्टमेंट (Disinvestment) और एसेट मॉनेटाइजेशन (Asset Monetisation) टारगेट की रिपोर्टिंग अलग से करने की जगह 'मिसलेनियस कैपिटल रिसीट्स' के तहत रखा गया था। आम तौर पर ऐसा नहीं होता है। इस फाइनेंशियल ईयर के लिए डिसइनवेस्टमेंट और एसेट मॉनेटाइजेशन का कुल अनुमान 50,000 करोड़ रुपये था, जबकि FY24 के लिए संशोधित अनुमान 30,000 करोड़ रुपये था। इसके अलावा नॉन-फाइनेंशियल सीपीएसई से डिविडेंड के लिए 48,000 करोड़ रुपये का टारगेट रखा गया था। इनमें ऐसी सरकारी कंपनियां भी शामिल थीं, जिनमें सरकार की हिस्सेदारी 50 फीसदी से कम है।
पिछले कुछ सालों में अनुमान से ज्यादा रहा है डिविडेंड कलेक्शन
FY24 और इससे पहले के दो सालों में डिविडेंड कलेक्शन शुरुआती अनुमान से बेहतर रहने के बावजूद सरकार अधिकारियों का कहना है कि उन्हें अंतरिम बजट के अनुमान में किसी तरह के बदलाव की उम्मीद नहीं है। एक अधिकारी ने बताया कि इसकी वजह यह है कि सरकार ऐसा कोई टारगेट तय नहीं करती जिसके पूरा होने की संभावना न हो। हालांकि, इस बारे में अंतिम फैसला 23 जुलाई को बजट पेश होने से ठीक पहले लिया जा सकता है।
FY24 में विनिवेश से 16,507 करोड़ मिले थे
फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में सरकार को डिसइनवेस्टमेंट से कुल 16,507 करोड़ रुपये मिले थे, जबकि एसेट मॉनेटाइजेशन से करीब 16,000 करोड़ रुपये आए थे। दोनों मिलाकर 30,000 करोड़ रुपये के संशोधित टारेगट से ज्यादा था। डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM) के डेटा के मुताबिक, CPSEs और दूसरी सरकारी कंपनियों से डिविडेंड कलेक्शन FY24 में 63,749 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। यह 50,000 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान के मुकाबले 27.5 फीसदी ज्यादा है। इससे सरकारी कंपनियों के शानदार प्रदर्शन का पता चलता है।
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डिसइनवेस्टमेंट को लेकर स्ट्रेटेजी बदलने की कोशिश
डिसइनवेस्टमेंट सेक्रेटरी तुहीन कांति पांडेय ने पहले ईटी को बताया था कि विनिवेश का ज्यादा सालाना टारगेट तय करने से अनिश्चितता की स्थिति बन सकती है। इसका असर संबंधित सीपीएसई के वैल्यू क्रिएशन गोल पर पड़ सकता है। इसलिए उन्होंने डिसइनवेस्टमेंट को लेकर नापतौल कर स्ट्रेटेजी बनाने की कोशिश पर जोर दिया था।