Union Budget 2024 : पहले इनकम टैक्स की सिर्फ एक रीजीम थी। टैक्सपेयर्स को उसके हिसाब से टैक्स चुकाना पड़ता था। वित्त वर्ष 2020-21 में इनकम टैक्स की नई रीजीम शुरू की गई। दोनों रीजीम में बड़ा फर्क है। अब इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स को नई और पुरानी रीजीम में से किसी एक का इस्तेमाल करना है। वित्त वर्ष 2023-24 में Nirmala Sitharaman ने इनकम टैक्स के मोर्चे पर कई बदलाव किए थे। उन्होंने इनकम टैक्स की नई रीजीम को डिफॉल्ट रीजीम बनाने का ऐलान किया था।
बजट 2024 में ओल्ड रीजीम के टैक्सपेयर्स को मिल सकती है राहत
नौकरी करने वाले लोगों को अपने एंप्लॉयर को वित्त वर्ष की शुरुआत में यह बताना जरूरी है कि वे इनकम टैक्स की पुरानी रीजीम का इस्तेमाल करना चाहते हैं। नहीं बताने पर यह मान लिया जाएगा कि टैक्सपेयर नई रीजीम का इस्तेमाल करेगा। इस नियम के बाद टैक्सपेयर्स के लिए यह तय करना जरूरी हो गया है कि उसे किस रीजीम का इस्तेमाल करना है। इसकी वजह यह है कि दोनों रीजीम में टैक्स कैलकुलेशन के नियम अलग-अलग है। उम्मीद है कि 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में वित्तमंत्री ओल्ड रीजीम के टैक्सपेयर्स को कुछ राहत दे सकती हैं।
ओल्ड रीजीम में कई तरह के डिडक्शंस मिलते हैं
इनकम टैक्स की ओल्ड रीजीम में कई तरह के डिडक्शंस और एग्जेम्प्शंस मिलते हैं। इससे टैक्सपेयर की टैक्स लायबिलिटी कम हो जाती है। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80सी के तहत आने वाले करीब एक दर्जन इंस्ट्रूमेंट्स में 1.5 लाख रुपये का निवेश एक वित्त वर्ष में करने की इजाजत है। फिर इसे क्लेम किया जा सकता है। होम लोन के इंटरेस्ट रेट पर सालाना 2 लाख रुपये तक के डिडक्शन की इजाजत है। इसके अलावा हेल्थ पॉलिसी खरीदने पर भी डिडक्शन मिलता है। कोई व्यक्ति खुद और अपने परिवार के लिए फ्लोटर हेल्थ पॉलिसी खरीदकर डिडक्शन का दावा कर सकता है। 60 साल से कम उम्र होने पर एक वित्त वर्ष में हेल्थ पॉलिसी पर 25000 रुपये का डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। अगर व्यक्ति अपने बुजुर्ग माता-पिता के लिए हेल्थ पॉलिसी खरीदता है तो वह 50,000 रुपये डिडक्शन क्लेम कर सकता है। नौकरी करने वाले लोगों को एक वित वर्ष में 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी मिलता है।
डिडक्शन और एग्जेम्प्शन क्लेम नहीं करने वालों के लिए नई रीजीम फायदेमंद
इनकम टैक्स की नई रीजीम में डिडक्शन और एग्जेम्प्शन नहीं मिलते हैं। लेकिन, इसमें टैक्स के रेट कम हैं। यह रीजीम उन टैक्सपेयर्स के लिए फायदेमंद है, जो टैक्स सेविंग्स स्कीम यानी सेक्शन 80सी के तहत आने वाले इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश नहीं करते हैं। इसके अलावा उन्होंने कोई होम लोन नहीं लिया है। इसकी वजह यह है कि ओल्ड रीजीम में मिलने वाले ज्यादातर डिडक्शन और एग्जेम्प्शन नई रीजीम में नहीं मिलते हैं। हेल्थ पॉलिसी पर डिडक्शन भी नहीं मिलता है। इसलिए नई रीजीम सिर्फ ऐसे टैक्सपेयर्स के लिए फायदेमंद है, जो किसी तरह के डिडक्शन और एग्जेम्प्शन का फायदा नहीं लेना चाहते। इसलिए उन्हें ज्यादा कैलकुशन करने की भी जरूरत नहीं पड़ती है।
पिछले बजट में वित्तमंत्री ने नई रीजीम के लिए किए थे ऐलान
वित्तमंत्री ने पिछले साल पेश बजट में नई टैक्स रीजीम का अट्रैक्शन बढ़ाने के लिए कुछ ऐलान किए थे। उन्होंने इस रीजीम में बेसिक एग्जेम्पशन लिमिट बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी थी। पहले सेक्शन 87ए के तहत सालाना 5 लाख रुपये की इनकम पर टैक्स रिबेट मिलता था। उन्होंने इस बढ़ाकर सालाना 7 लाख रुपये कर दी थी। साथ ही उन्होंने नई रीजीम में भी 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन देने का ऐलान किया था।
नई टैक्स रीजीम में सालाना 3 लाख रुपये पर कोई टैक्स नहीं लगता है। 3,00,001 रुपये से लेकर 6,00,000 रुपये पर 5 फीसदी टैक्स लगता है। 6,00,0001 रुपये से 9,00,000 रुपये इनकम पर 10 फीसदी टैक्स लगता है। 9,00,001 से 12,00,000 रुपये पर 15 फीसदी टैक्स लगता है। 12,00,001 से 15,00,000 रुपये पर 20 फीसदी टैक्स लगता है। 15,00,000 रुपये ज्यादा इनकम पर 30 फीसदी टैक्स लगता है।
पुरानी रीजीम में टैक्स रेट
इनकम टैक्स की पुरानी रीजीम में सालाना 2.5 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स नहीं लगता है। 2.5 से 3 लाख रुपये इनकम होने पर टैक्स 5 फीसदी है। 3 लाख से 5 लाख रुपये इनकम पर भी टैक्स 5 फीसदी है। 5 लाख से 10 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स रेट 20 फीसदी है। 10 लाख रुपये से ज्यादा इनकम पर टैक्स रेट 30 फीसदी है।