इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) ने 2024 और 2025 में इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ 6.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। इससे यह दुनिया में सबसे ज्यादा ग्रोथ वाली इकोनॉमी है। 10 साल पहले इंडियन इकोनॉमी दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी थी। आज यह दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी है। इसके 2030 तक जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाने की उम्मीद है। तब सिर्फ अमेरिका और चीन की इकोनॉमी इंडिया से बड़ी रह जाएंगी। 25 साल में इंडियन इकोनॉमी 26 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी। तब इंडिया में प्रति व्यक्ति जीडीपी 15,000 डॉलर से ज्यादा हो जाएगा। यह अभी के मुकाबले छह गुना होगा।
आज मार्केट में निवेश के कई विकल्प
इकोनॉमी की ग्रोथ के साथ लोगों की खर्च करने वाली इनकम (disposable Income) बढ़ रही है। इससे सेविंग्स और इनवेस्टमेंट भी बढ़ा है। सरकार ने प्रधानमंत्री जनधन योजना जैसी स्कीमों के जरिए फाइनेंशियल इनक्लूजन पर फोकस बढ़ाया है। इससे आबादी का बड़ा हिस्सा फाइनेंशियल सिस्टम का हिस्सा बना है। उसकी पहुंच बैंकिंग सर्विसेज और इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट्स तक बढ़ी है। साथ ही इंडियन फाइनेंशियल मार्केट्स में म्यूचुअल फंड्स, ETF, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स जैसे नए प्रोडक्ट्स मार्केट में आए हैं। इससे इनवेस्टर्स को अपने इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन के लिए कई विकल्प मिले हैं। पिछले कुछ सालों से इनवेस्टर्स फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज के दायरे से बाहर निकल रहे हैं।
कैपिटल गेंस टैक्स के नियम अलग-अलग
लेकिन, इनवेस्टमेंट पर होने वाले लॉन्ग टर्म प्रॉफिट पर टैक्स के रेट्स अलग-अलग हैं। होल्डिंग पीरियड में भी फर्क है। लिस्टेड शेयर और डिबेंचर्स को 12 महीने बाद बेचने पर हुआ प्रॉफ्रिट लॉन्ग टर्म गेंस माना जाता है। अनिलिस्टेड शेयरों के मामले में यह 24 महीने और अनलिस्टेड डिबेंचर्स के मामले में 36 महीने हैं।
सभी एसेट क्लास के लिए इंडेक्सेशन बेनेफिट उपलब्ध नहीं
लिस्टेड शेयर, म्यूचुअल फंड की इक्विटी स्कीम, REIT और InvITs पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस पर 15 फीसदी टैक्स लगता है। बाकी सिक्योरिटीज पर इनवेस्टर के टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर सरचार्ज की लिमिट 15 फीसदी है, जबकि शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस पर यह 25 फीसदी तक जा सकता है। इंडेक्सेशन का फायदा भी सभी एसेट क्लास के लिए उपलब्ध नहीं है।
विदेश में कैपिटल गेंस टैक्स के नियम
विदेश में कैपिटल गेंस टैक्स के नियम अलग हैं। कुछ एसेट्स पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स नहीं लगता है, जबकि कुछ पर कम रेट से टैक्स लगता है। सिंगापुर, तुर्की, चीन और मलेशिया में पब्लिकली ट्रेडेड स्टॉक्स पर कैपिटल गेंस टैक्स नहीं लगता है। दूसरी तरफ, अमेरिका, यूनाइटेड किंग्डम, फ्रांस और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश हैं, जहां पब्लिकली ट्रेडड स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स, डेट सिक्योरिटीज और प्रॉपर्टी पर कम रेट से टैक्स लगता है।
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कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों को आसान बनाने की जरूरत
कैपिटल गेंस टैक्स के नियम एकसमान होने से टैक्स सिस्टम आसान हो जाता है। जब अलग-अलग एसेट्स पर टैक्स रेट एक जैसा होता है तो इनवेस्टर्स निवेशक उससे मिलने वाले रिटर्न की संभावना को देख निवेश के फैसले लेते हैं। वे रिटर्न पर पड़ने वाले टैक्स के असर को देखकर निवेश के फैसले नहीं लेते हैं। इससे कैपिटल का सही एलोकेशन मुमकिन होता है। सरकार कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों को आसान बना सकती है। इससे निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।