मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में सरकार ने किसानों तक पहुंचने की कोशिश की है। बजट में कृषि उत्पादन को प्राथमिकता के स्तर पर बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता नजर आ रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बजट में कृषि और इससे जुड़ी अन्य गतिविधियों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जबकि पिछले वित्त वर्ष के दौरान इस मद में 1.40 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।
बजट में कहा गया है कि अगले दो साल में देशभर के एक करोड़ किसान को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जाएगा। वित्त मंत्री का कहना था कि दालों और तिलहन के उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए रणनीति तैयार की जा रही है। इसके तहत सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन जैसी तिलहन फसलों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की बात है। सरकार फसलों से जुड़ी ज्यादा उपज वाली और मौसम की मार से बचने में सक्षम 109 वेराइटी जारी करेगी।
सरकार राज्यों के साथ पार्टनरशिप के जरिये कृषि क्षेत्र में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) से जुड़ी व्यवस्था को लागू करेगी। इसके तहत अगले तीन साल में किसानों और उनकी जमीन के रिकॉर्ड को डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के दायरे में शामिल किया जाएगा।
DPI का इस्तेमाल कर खरीफ फसलों के लिए 400 जिलों में डिजिटल क्रॉप सर्वे किया जाएगा और इसके तहत 6 करोड़ किसानों और उनकी जमीन का रिकॉर्ड इस डिजिटल सिस्टम में दर्ज किया जाएगा। पांच राज्यों में जन समर्थ आधारित क्रेडिट कार्ड भी जारी किए जाएंगे।