वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बजट पेश करने में सिर्फ 2 दिन बचे हैं। वह 23 जुलाई को बजट पेश करेंगी, जबकि संसद का सत्र 22 जुलाई को शुरू हो रहा है। बजट में एक अहम विषय कैपिटल गेन्स टैक्स में बदलाव को लेकर है और इस पर बाजार की प्रतिक्रिया भी देखने को मिल सकती है। निवेशक लंबे समय से कैपिटल गेन्स टैक्स को तर्कसंगत बनाए जाने की मांग करते रहे हैं। अगर इसमें निवेशकों के अनुकूल कोई बदलाव होता है, तो बाजार में बड़ी तेजी देखने को मिल सकती है।
कैपिटल गेन्स टैक्स मोर्चे पर राहत
एक्सपर्ट्स और इंडस्ट्री से जुड़े संगठन लगातार कैपिटल गेन्स टैक्स सिस्टम को आसान और यूनिफॉर्म (एकरूप) बनाए जाने की मांग करते रहे हैं, ताकि पारदर्शिता बढ़ सके और इसको लागू करने में आसानी हो। एक प्रस्ताव के तहत टैक्स फ्री लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) की सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये करने की मांग की जा रही है।
अर्न्स्ट एंड यंग में पार्टनर, टैक्स एंड रेगुलेटरी सर्विसेज सुधीर कपाड़िया ने बताया कि कैपिटल गेन्स टैक्स को तर्कसंगत बनाए जाने और सभी एसेट क्लास में टैक्स को लेकर समानता लाने से भारत को ग्लोबल स्तर पर ज्यादा कॉम्पिटिटिव बनाया जा सकता है। उनके मुताबिक, लिस्टेड सिक्योरिटीज के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स का रेट 10% तय करना इस दिशा में अहम कदम होगा।
बाजार की उम्मीदें और संभावित असर
मिरेई एसेट (Mirae Asset) में इंस्टीट्यूशनल बिजनेस के डायरेक्टर मनीष जैन का कहना है कि आगामी बजट में पॉलिसी लेवल पर निरंतरता और टैक्स के मोर्चे पर राहत दिए जाने की दरकार है। उनके मुताबिक, निवेशकों को फिलहाल लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स के अलावा कई स्तरों पर टैक्स का सामना करना पड़ता है, मसलन GST, एक्सचेंज ट्रांजैक्शन टैक्स, STT और डिविडेंड टैक्स। जैन ने फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस ट्रे़डिंग में सट्टेबाजी पर भी अंकुश लगाने के लिए उपाय किए जाने का सुझाव दिया।