वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि पब्लिक सेक्टर कंपनियों (PSUs) का निजीकरण अब भी सरकार के एजेंडे में शामिल है और सरकार इसे पूरा करने को लेकर प्रतिबद्ध है। यह फैसला कैबिनेट करेगी और इस बारे में सही समय पर फैसला लिया जाएगा। सीतारमण ने बजट के पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'PSUs का निजीकरण कैबिनेट का फैसला होता है और इसका सम्मान करना होगा। हालांकि, इसकी टाइमिंग के बारे में फैसला सरकार करेगी।'
सीतारमण का कहना था कि पीएसयू फर्में अच्छी ग्रोथ की वजह से बढ़िया डिविडेंड दे रही हैं। वित्त मंत्री ने 8 मई को बताया था कि बेहतर कैपिटल मैनेजमेंट की वजह से पिछले तीन साल में कुल 81 लिस्टेड PSUs के कुल मार्केट कैप में 225% की बढ़ोतरी हुई है, जिनमें बैंक और इंश्योरेंस कंपनियां भी शामिल हैं। केनरा बैंक और इंडियन बैंक समेत पब्लिक सेक्टर के चार बैंकों ने वित्त वर्ष 2023-24 में 6,481 करोड़ रुपये का डिवडेंड दिया है।
बजट 2023-24 में विनिवेश के लिए कोई टारगेट तय नहीं किया गया है। इसमें एसेट मॉनेटाइजेशन और डिसइनवेस्टमेंट के जरिये 50,000 करोड़ रुपये जुटाने का अनुमान जताया गया है। सीतारमण ने बताया, 'PSU का डिविडेंड बढ़ गया है। नॉन-टैक्स रेवेन्यू में बढ़ोतरी हो रही है।' डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट के सेक्रेटरी तुहीन कान्त पांड ने बजट के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'PSUs की वैल्यू बढ़ाने के लिए खास रणनीति बनाई गई है।'
2021 के बजट में दो पब्लिक सेक्टर बैंकों और एक इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण का ऐलान किया गया था। शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और NMDC स्टील समेत कुछ PSU फर्मों में हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। IDBI बैंक के निजीकरण के लिए बिड का मामला फिलहाल रिजर्व बैंक के पास है। सरकार LIC के साथ-साथ IDBI बैंक में तकरीबन 61% पर्सेंट हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में है और अक्टूबर 2022 में इसके लिए बिड मंगाई गई थी।