Budget 2024 : बजट से सरकार के लक्ष्यों का रोडमैप मिलता है। नई सरकार के पहले बजट में बहुत कुछ संकेत मिलते हैं। ये सरकार तो 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। सरकार इस बजट में क्या करेगी और क्या कर सकती है। यहां इसी पर चर्चा हो रही है। इस चर्चा में भाग लेने के लिए सीएनबीसी-आवाज के साथ हैं एशिया पैसिफिक के चेयरमैन जन्मेजय सिन्हा, हीरानंदानी ग्रुप के निरंजन हीरानंदानी और मार्केट एक्सपर्ट सुनील सुब्रमणियम।
बजट पर बात करते हुए जन्मेजय सिन्हा ने कहा कि सरकार को तो सबसे पहले उस काम को जारी रखना चाहिए जो वह अब तक करती रही है। सरकार को राजकोषीय घाटा कम करने पर फोकस बनाए रखना चाहिए और इसको 4.7-4.8 पर लाने पर जोर होना चाहिए। ऐसे होने पर जीडीपी के मुकाबले सरकारी कर्ज में भी कमी आएगी।
जन्मेजय सिन्हा ने आगे कहा कि इंफ्रा डेवलपमेंट पर सरकार का फोकस बना रहना चाहिए। सरकार के पास इसके लिए संशाधनों की कमी नहीं है। अगर सरकार सरकारी बैंकों की अपनी हिस्सेदारी को ही घटा कर 51 फीसदी से आसपास ले आए तो सिर्फ इसी से ही उसको करीब 3 लाख करोड़ रुपए मिल जाएंगे। सरकारी बैंकों में अभी सरकार की हिस्सेदार 80 फीसदी के आसपास है।
सरकार का एजूकेशन और हेल्थ पर खास फोकस होना चाहिए। इसके अलावा अगले 5 साल में भारत के लिए जल की उपलब्धता एक बहुत बड़ी समस्या होने वाली है। इस मिशन पानी को लिए सरकार को पैसे का अगल से प्रावधान करके रखना चाहिए।
निरंजन हीरानंदानी का कहना है कि सरकार को इस बात पर फोकस करना चाहिए कि देश की बढ़ती जीडीपी का फायदा आम आदमी को कैसे मिले। सरकार को अपने लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म लक्ष्यों में संतुलन साध कर चलने की जरूरत है।
सुनील सुब्रमणियम ने कहा कि इस बजट में विवादों से बचते हुए गैर-विवादास्पद रिफॉर्म किए जाएंगे। सरकार विपक्ष को कोई मौका देने से बचेगी। सरकार लेबर और लैंड रिफार्म से बचकर चलेगी। इस बजट में रिन्यूएबल एनर्जी, रोजगार सृजन पर फोकस होगा। अगले 1-2 सालों में महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे कृषि प्रधान राज्यों में इलेक्शन होने वाले हैं। ऐसे में सरकार का फोकस किसानों को राहत देने पर होगा। इस बजट में बिहार और आंध्र प्रदेश को वरीयता मिल सकती है।