केंद्र सरकार ने उद्योगपति गौतम अदाणी को अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (US SEC) की ओर से जारी एक समन को गुजरात की एक अदालत के पास भेज दिया है। द हिंदू ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। यह समन एक कथित रिश्वत मामले से जुड़ा है, जिसमें अदाणी ग्रुप के चेयरमैन पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र के विधि और न्याय मंत्रालय ने फरवरी में इस समन को अहमदाबाद की सेशन कोर्ट को भेजा था, ताकि इसे गौतम अदानी को उनके स्थानीय पते पर औपचारिक रूप से सौंपा जा सके।
रिपोर्ट के मुताबिक, यह कदम हेग संधि, 1965 के तहत उठाया गया है। इस संधि के तहत, इससे जुड़े देश एक-दूसरे के नागरिकों को कानूनी दस्तावेज सौंपने में सहायता के लिए सीधे अनुरोध कर सकते हैं। विधि और न्याय मंत्रालय की ओर से भेजे नोट में कहा गया है, "अगर मंजूरी मिल जाती है तो हम दस्तावेजों को प्रतिवादी को तामील कराने के लिए जिला एवं सेशन कोर्ट, अहमदाबाद, गुजरात को भेज सकते हैं।"
अमेरिकी नियामक की वेबसाइट के अनुसार, US SEC ने गौतम अदाणी और उनके भतीजे सागर अदाणी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने भारतीय सरकारी अधिकारियों को करोड़ों-अरबों रुपयों की रिश्वत दी, ताकि बाजार से ऊंची दरों पर पावर परचेज एग्रीमेंट को हासिल किया जा सके। यह मामला अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और अमेरिकी सौलर एनर्जी कंपनी अजुरे पावर से जुड़ा है। US SEC ने Azure Power के एक एक्जिक्यूटिव ऑफिसर सिरिल कैबनेस पर भी “बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी की योजना से पैदा हुए आचरण” के लिए आरोप लगाया है।
US SEC ने आरोप लगाया कि अदाणी ग्रीन एनर्जी ने अमेरिकी निवेशकों को गुमराह कर 175 मिलियन डॉलर (लगभग ₹1,450 करोड़) से अधिक की धनराशि जुटाई। एज्योर पावर के न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (NYSE) पर ट्रेड किए जाते हैं। खबर लिखे जाने तक, इस पर अदाणी ग्रुप की ओर से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।