वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने एक बार फिर क्रिप्टोकरेंसीज (Cryptocurrencies) के बारे में सरकार का रुख साफ किया है। सोमवार (18 जुलाई) को उन्होंने संसद में इस बारे में बयान दिया। उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध या सख्त नियमों के प्रभावी होने के लिए दूसरे देशों का सहयोग (Global Collaboration) जरूरी है।
RBI क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर सख्त नियम बनाने और इसके इस्तेमाल पर रोक लगाने के पक्ष में रहा है। सीतारमण ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा, "RBI देश की मॉनेटरी और फिस्कल स्टैबिलिटी के लिए क्रिप्टोकरेंसीज को खतरा बता चुका है। उसने इस सेक्टर के लिए कानून बनाने की सिफारिश की है। RBI का मानना है कि इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। "
वित्तमंत्री ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसीज के सीमारहित व्यापक स्वरूप को देखते हुए नियमों के उल्लंघन को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी है। इसलिए इस पर रोक लगाने का कोई कानून तभी प्रभावी हो सकता है जब कॉमन टैक्सोनॉमी और स्टैंडर्ड्स के फायदों और जोखिम पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग हो।
सरकार ने क्रिप्टोकरेंसीज के नियमन के लिए व्यापक नियम और कानून बनाना चाहती है। इसके लिए विचार-विमर्श जारी है। उम्मीद है कि सरकार संसद के मानसून सत्र में क्रिप्टो सेक्टर के नियमन के लिए बिल पेश कर सकती है। हालांकि, संसद में पेश होने वाले प्रस्तावित विधेयकों की सूची में इस बिल का जिक्र नहीं है।
संसद में विधेयक पेश करने से पहले क्रिप्टो पर कंसल्टेशन पेपर आएगा। इसमें क्रिप्टो को लेकर सरकार के रुख का संकेत मिलेगा। यह पेपर मई के अंत में तैयार हो चुका है। उम्मीद है कि इसे जल्द सार्वजनिक कर दिया जाएगा।
अब तक सरकार खुलकर क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर अपना रुख स्पष्ट करने से बचती रही है। इसे फाइनेंशियल करेंसी माना जाए या किसी दूसरी कैटेगरी में रखा जाए। इसे लेकर भी उलझन रही है। पिछले कुछ समय से सीतारमण और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्रिप्टो के इस्तेमाल को लेकर ग्लोबल एक्शन की जरूरत पर जोर देते रहे हैं।
इस बीच, RBI अपनी डिजिटल करेंसी लॉन्च करने की दिशा में काम कर रहा है। उम्मीद है कि इसे इस साल पेश कर दिया जाएगा। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने कहा है कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसीज की जरूरत को खत्म कर सकती है।