Hindustan Zinc में अपनी 3.5% हिस्सेदारी बेच सकती है सरकार, जानिए डिटेल

Hindustan Zinc : 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने पर सरकार की कंपनी में हिस्सेदारी घटकर 26 फीसदी हो जाएगी। 26 फीसदी हिस्सेदारी तक कुछ अधिकार शेयरधारक के पास रहते हैं। हिस्सेदारी 26 फीसदी से कम होने पर सरकार को कई अधिकार छोड़ने पड़ेंगे

अपडेटेड Oct 11, 2023 पर 2:26 PM
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सरकार हिंदुस्तान जिंक (Hindustan Zinc) में शुरुआती ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेच सकती है।
     
     
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    सरकार हिंदुस्तान जिंक (Hindustan Zinc) में शुरुआती ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेच सकती है। हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) में सरकार की 29.5 फीसदी हिस्सेदारी है, जिसमें से 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया जा सकता है। एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी है। अगर ऐसा होता है तो सरकार की कंपनी में हिस्सेदारी घटकर 26 फीसदी हो जाएगी। हालांकि, अधिकारियों ने पहले मनीकंट्रोल को बताया था कि निवेशकों की कमजोर डिमांड के कारण सरकार हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) में 5-6 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री कर सकती है।

    3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की क्या है वजह

    अधिकारी ने मनीकंट्रोल को बताया कि इस (HZL) केस में निवेशक चाहते हैं कि सरकार एक शेयरधारक बनी रहे। सरकार निवेशकों की मांग के अनुसार OFS को स्ट्रक्चर करेगी। 26 फीसदी हिस्सेदारी तक कुछ अधिकार शेयरधारक के पास रहते हैं। हिस्सेदारी 26 फीसदी से कम होने पर सरकार को कई अधिकार छोड़ने पड़ेंगे। इसलिए सरकार 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर सकती है। अतिरिक्त 1-2 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर एक शेयरधारक के रूप में कई अधिकारों को छोड़ना उचित नहीं है। इसमें कंपनी बोर्ड द्वारा प्रस्तावित किसी भी फाइनेंशियल रिज़ॉल्यूशन को रोकने का अधिकार शामिल है।


    एक अन्य सीनियर सरकारी अधिकारी ने मनीकंट्रोल को बताया, HZL में इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स के हितों की कमी पाई गई है। प्रमोटर के रूप में वेदांता लिमिटेड के साथ निवेशकों को HZL में कोई दिलचस्पी नहीं है। HZL जस्ता, सीसा, चांदी और कैडमियम का एक भारतीय इंटीग्रेटेड माइनिंग और रिसोर्सेज उत्पादक है। यह वेदांता लिमिटेड की सब्सिडियरी कंपनी है। हिंदुस्तान जिंक में वेदांता की 64.92 फीसदी हिस्सेदारी है।

    26% से कम हिस्सेदारी होने पर वीटो अधिकार खो सकती है सरकार

    केएस लीगल एंड एसोसिएट्स के मैनेजिंग पार्टनर सोनम चंदवानी ने मनीकंट्रोल को बताया कि HZL में अगर सरकार की हिस्सेदारी 26 फीसदी से कम हो जाती है, तो वह अहम वीटो अधिकार खो सकती है, खासकर स्पेशल रिज़ॉल्यूशन में जिसके लिए 75 फीसदी मेजोरिटी की जरूरत होती है। ये अधिकार सरकार को कंपनी से संबंधित प्रमुख निर्णयों और बदलावों में अहम भूमिका प्रदान करते हैं। HZL में निवेशकों की रुचि फिलहाल कम है, ऐसे में सरकार अपनी 26 फीसदी हिस्सेदारी बनाए रखने के लिए कम शेयर ही बेचेगी, ताकि अहम अधिकार बरकरार रहे।

    केंद्रीय कैबिनेट ने पूरी हिस्सेदारी बेचने को दी है मंजूरी

    बता दें कि केंद्रीय कैबिनेट ने 2022 में सरकार की पूरी हिस्सेदारी बेचने की मंजूरी दे दी थी। सरकार को अपनी पूरी 29.5 फीसदी बची हुई हिस्सेदारी बेचने पर करीब 40,000 करोड़ रुपये मिलेंगे। आज 11 अक्टूबर को Hindustan Zinc के शेयरों में 0.49 फीसदी की मामूली गिरावट आई है और यह स्टॉक 315.50 रुपये के भाव पर ट्रेड कर रहा है।

    Shubham Singh Thakur

    Shubham Singh Thakur

    First Published: Oct 11, 2023 2:26 PM

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