हुंडई इंडिया (Hyundai India) ने रेयर अर्थ मैग्नेट के उपलब्धता की अनिश्चितता से निपटने के लिए खास स्ट्रैटेजी तैयार की है। सीएनबीसी-टीवी18 को सूत्रों के हवाले से इसकी जानकारी मिली है। जानकारी के मुताबिक यह अपनी पैरेंट कंपनी हुंडई मोटर कंपनी के ग्लोबल सप्लाई नेटवर्क के जरिए इसकी सप्लाई में कमी की भरपाई करेगी। सूत्रों के मुताबिक कंपनी अभी मौजूदा स्थिति पर नजदीक से नजर रखे हुए है लेकिन नियर टर्म में अभी तत्काल उत्पादन में किसी कटौती के आसार नहीं दिख रहे हैं। कंपनी के पास इस साल भर के लिए पर्याप्त स्टॉक मौजूद है जिससे यह अपनी जरूरतों को पूरा कर लेगी।
क्यों आई है रेयर अर्थ मैग्नेट की सप्लाई में दिक्कत?
रेयर अर्थ मैग्नेट का इस्तेमाल मोटर, सेंसेक्स और नए जमाने की गाड़ियों के जरूरी अन्य इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के लिए एक अहम घटक है। अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी के जवाब में चीन ने इनके निर्यात पर सख्ती कर दी है जिससे इसकी सप्लाई कम हो गई है। 4 अप्रैल से भारतीय मैन्युफैक्चरर्स को चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट का कोई शिपमेंट नहीं मिला है। चीन ने यह नियम बना दिया है कि हर बार इसके निर्यात के लिए अब एंड-यूज सर्टिफिकेट हासिल करना होगा। यह नियम इसलिए चीन ने बनाया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इसका इस्तेमाल सेना या दोहरे उद्देश्यो में नहीं होगा। अभी दुनिया भर में सप्लाई होने वाली रेयर अर्थ मैग्नेट का 90% से अधिक हिस्सा चीन से आता है। फिलहाल इसकी प्राथमिकता में स्टेलांटिस और वोक्सवेगन जैसी यूरोपीय ऑटो कंपनियां हैं।
जूझ रही है भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री
चीन की नई नीतियों ने भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को करारा झटका दिया है। रेयर अर्थ मैग्नेट इलेक्ट्रिक वेईकल्स और इंटर्नल कंब्सशन इंजन (ICE) वेईकल्स, दोनों के लिए अहम कंपोनेंट है। इसकी सप्लाई की किल्लत के चलते देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी ने अपने पहले इलेक्ट्रिक वेईकल ई-विटारा के नियर-टर्म प्रोडक्शन टारगेट को दो-तिहाई घटा दिया है। यह खुलासा मारुति सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने सीएनबीसी-टीवी18 से बाचतीत में कही थी। हालांकि उन्होंने आगे यह भी कहा कि अगर चीन समय से लाइसेंस को मंजूरी देता है तो मैन्युफैक्चरिंग पर कोई असर नहीं पड़ेगा।