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स्टारलिंक को तुरंत मिल जाएगा लाइसेंस, लेकिन पहले पूरा करना होगा यह काम: केंद्रीय मंत्री सिंधिया

Starlink's entry in India: हाई-स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस लाने के लिए स्पेसएक्स (SpaceX) के साथ भारतीय कंपनियों ने साझेदारी कर ली है। हालांकि स्टारलिंक को अभी लाइसेंस ही नहीं मिला है। स्टारलिंक इसके लिए करीब चार साल से इंतजार कर रही है। अब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट कर दिया है कि स्टारलिंक को लाइसेंस कब तक मिलेगा?

अपडेटेड Mar 18, 2025 पर 1:41 PM
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Starlink's entry in India: टेलीकॉम मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट कर दिया है कि स्टारलिंक (Starlink) को भारत में लाइसेंस हासिल करने के लिए हर निर्देशों का पालन करना होगा।

Starlink's entry in India: टेलीकॉम मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट कर दिया है कि स्टारलिंक (Starlink) को भारत में लाइसेंस हासिल करने के लिए हर निर्देशों का पालन करना होगा। मनीकंट्रोल से बातचीत में उन्होंने कहा कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेक्टर सभी कंपनियों के लिए खुला है और सरकार इसे लेकर किसी भी कंपनी का पक्ष नहीं लेगी। टेलीकॉम मिनिस्टर का कहना है कि जो भी यहां आना चाहता है, वह आ सकता है लेकिन उन्हें लाइसेंस हासिल करने के लिए सभी नियमों का पालन करना होगा और फिर स्पेक्ट्रम हासिल करके कारोबार कर सकते हैं।

चार साल से अटका है Starlink का एप्लीकेशन?

स्टारलिंग के एप्लीकेशन के वर्ष 2021 से अटके जाने पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि यह कंपनी और एप्लीकेश प्रोसेस के बीच की बात है। कंपनियों को जो भी एप्लीकेशन के तहत हर बॉक्स को टिक करना होगा और जैसे ही वे ऐसे कर लेते है, उन्हें लाइसेंस मिल जाएगा। सरकार के नजरिए को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार के ध्यान में कंपनी नहीं बल्कि कंज्यूमर है यानी कि ब्रॉडबैंड या मोबाइल, यह कंज्यूमर पर है और सरकार उसे सिर्फ विकल्प देना चाहती है।


सैटेलाइट कम्युनिकेशंस को लेकर क्या है सरकार का रुझान?

टेलीकॉम मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया का कहना है कि भारत में सैटेलाइट आधारित कम्युनिकेशंस बढ़ रहा है, खास तौर से किसी आपदा के समय और दूर-दराज इलाकों को जोड़ने में। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दो लाइसेंस मिले हैं जिसे पहले ही वनवेब और जियो-एसईएस को दिया जा चुका है। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय मार्केट उन सभी के लिए खुला है, जो भारत में आकर काम करना चाहती हैं लेकिन शर्त यही है कि वे पहले लाइसेंस हासिल करें और स्पेक्ट्रम लें।

स्टारलिंक की पहले ही हो चुकी है साझेदारी

स्टारलिंक अभी नियामकीय मंजूरी और LBO (लो अर्थ ऑर्बिट) सैटेलाइट ऑपरेशंस का इंतजार कर रही है लेकिन भारती एयरटेल और जियो प्लेटफॉर्म्स हाल ही में स्टारलिंक की हाई-स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस लाने के लिए स्पेसएक्स (SpaceX) के साथ साझेदारी का ऐलान किया है। इन कंपनियों का लक्ष्य दूर-दराज के इलाकों में कनेक्टिविटी बढ़ाना है। अब लाइसेंस की बात करें तो स्पेसएक्स ने स्टारलिंक के ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्यूनिकेशंस बाय सैटेलाइट (GMPCS) लाइसेंस के लिए जरूरी डिटेल्स दाखिल कर दी है। इसने भारत में नेटवर्क कंट्रोल सेंटर और ग्राउंड स्टेशन के सेटअप पर हामी भर दी है। सूत्रों के मुताबिक दूरसंचार विभाग और IN-SPACe जल्द ही स्टारलिंक के आवेदन पर फैसला ले सकते हैं।

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डिस्क्लेमर: मनीकंट्रोल, नेटवर्क18 ग्रुप का हिस्सा है। नेटवर्क18 का नियंत्रण इंडिपेंडेट मीडिया ट्रस्ट करता है, जिसकी एकमात्र लाभार्थी रिलायंस इंडस्ट्रीज है।

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First Published: Mar 18, 2025 1:37 PM

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