देश की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज वजीरएक्स पर पिछले साल 2024 के जुलाई में हैकर्स का बड़ा हमला हुआ था। हैकर्स के इस हमले के पीछे उत्तर कोरिया का एक हैकिंग संगठन Lazarus Group था। इसे लेकर अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया ने 14 जनवरी को एक संयुक्त बयान जारी किया। इन तीनों देशों के संयुक्त बयान के मुताबिक इस ग्रुप के चलते ही पिछले साल वजीरएक्स के क्रिप्टो एसेट होल्डिंग्स का करीब 45 फीसदी हिस्सा गायब हो गया। इन तीनों देशों ने कहा कि डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (DPRK) के साइबर कार्यक्रम से वैश्विक फाइनेंशियल सिस्टम की स्थिरता और इंटिग्रिटी के लिए खतरा पैदा हो गया है।
उत्तर कोरिया से बढ़ रहे साइबर हमले
अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया के संयुक्त बयान से खुलासा हुआ कि उत्तर कोरिया से साइबर हमले तेजी से बढ़े हैं और पिछले साल 2024 में हुई कई बड़ी क्रिप्टो चोरी की घटनाओं के सूत्र उत्तर कोरिया से जुड़े हैं जैसे कि डीएमएम बिटक्वॉइन का 30.8 करोड़ डॉलर, अपबिट का 5 करोड़ डॉलर, रेन मैनेजमेंट का 1.61 करोड़ डॉलर, वजीरएक्स का 23.5 करोड़ डॉलर और रेडिएंट कैपिटल का 5 करोड़ डॉलर। अब संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया ने बढ़ते साइबर खतरे से निपटने के लिए हाथ मिलाया है। संयुक्त बयान के मुताबिक तीनों देशों की सरकारें चोरी रोकने और चोरी हो चुके फंड को वापस लाने के लिए मिलकर काम करेंगी। इसके अलावा उत्तर कोरिया को विनाशक हथियारों और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों के लिए गलत तरीके से पैसे जुटाने के रास्ते बंद किए जाएंगे।
अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया के संयुक्त बयान पर वजीरएक्स के फाउंडर निश्चल शेट्टी ने X (पूर्व नाम Twitter) पर ट्वीट करते हुए लिखा कि जो एसेट्स चोरी हुए हैं, उसे फिर से हासिल करने के लिए वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई और समर्थन का आग्रह कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि कंपनी न्याय हासिल करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी।