MFI sector: इंडियन माइक्रोफाइनेंस सेक्टर (Indian microfinance sector) लगातार चुनौतियों का सामना कर रहा है। Sa-Dhan के डिप्टी डायरेक्टर चंदन ठाकुर का मानना है कि इस तनाव के अगले दो से तीन तिमाहियों तक बने रहने की संभावना है। ठाकुर ने कहा कि MFI सेक्टर में इस तनाव की वजह कोविड के बाद की रिकवरी में दिक्कतों, बढ़ती बेरोजगारी और ग्रामीण क्षेत्रों में री-पेमेंट में कठिनाइयां है। हालांकि हाल ही में स्टेकहोल्डर्स द्वारा उठाए गए कुछ कदमों से सुधार की संभावनाएं नजर आई हैं, फिर भी उद्योग के लिए सामान्य स्थिति में लौटने की राह अभी भी अनिश्चित बनी हुई है। यह दौर माइक्रोफाइनेंस सेक्टर के लिए एक मुश्किल समय है।
हाल ही में एक पैनल डिस्कशन में इन चुनौतियों और संभावित रिकवरी के उपायों पर चर्चा की गई। इसमें इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च में एसोसिएट डायरेक्टर ऐश्वर्या खंडेलवाल, Sa-Dhan से चंदन ठाकुर, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस में डॉक्टरेट रिसर्चर अनु जोगेश और CRIF में भारत और दक्षिण एशिया के रीजनल एमडी सचिन सेठ जैसे दिग्गज एक्सपर्ट्स शामिल थे।
लोन में चूक में बढ़ोतरी से बढ़ी मुश्किलें
अनु जोगेश ने माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क (MFIN) के हालिया डायरेक्टिव के प्रभाव के बारे में जमीनी स्तर की जानकारी साझा की, जिसमें बॉरोअर्स को तीन लोन तक सीमित रखने का निर्देश दिया गया है। वहीं, सचिन सेठ ने CRIF की लेटेस्ट रिपोर्ट के निष्कर्षों पर बात की।
रिपोर्ट में लोन में चूक में चिंताजनक बढ़ोतरी का खुलासा किया गया है, जिसमें 31 से 90 दिन की कैटेगरी में रिस्क वाले लोन 2.8 फीसदी तक पहुंच गए हैं और 90 से 180 दिन की कैटेगरी में 2.4% तक पहुंच गए हैं, जिससे सितंबर 2024 तक कुल रिस्क परसेंटेज 5.2 फीसदी तक पहुंच गया है।
जमीनी स्तर पर क्या है स्थिति?
ठाकुर ने कहा कि ऋण चूक के आंकड़े बढ़े हैं। उन्होंने इसकी मुख्य वजहें भी बताई, जिसमें सामान्य चुनाव और जलवायु संकट और अप्रत्याशित गर्मी जैसे फैक्टर्स शामिल हैं। इसके अलावा, उन्होंने इस स्थिति के लिए कोविड-19 के बाद इस सेक्टर में डिमांड बढ़ने को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि लोन डिसबर्समेंट और अन्य सभी मामलों में वृद्धि हुई है, लेकिन रोजगार सृजन और ऋण चुकाने की क्षमता ग्रामीण इलाकों में पहले जैसी नहीं रही। इसके चलते ऋण चुकाने की क्षमता प्रभावित हो रही है। बेरोजगारी की ऊंची दर भी इस समस्या को और बढ़ा रही है।
उन्होंने आगे बताया, "हालांकि, हम अच्छे खरीफ सीजन को लेकर आशावादी हैं और दोनों SRO द्वारा कुछ निवारक उपाय किए गए हैं। इसलिए हर गुजरते दिन के साथ चीजें बेहतर होती जा रही हैं। हमें यकीन है कि पिछली तिमाही में नतीजे इस सेक्टर के लिए बेहतर होंगे। और उम्मीद है कि अगले वित्तीय वर्ष से हम सामान्य स्थिति में वापस आ जाएंगे।" ठाकुर ने आगे स्पष्ट किया कि सितंबर और दिसंबर के आंकड़े कमोबेश एक जैसे ही होंगे। लेकिन मार्च का आंकड़ा बेहतर होगा।
खंडेलवाल का मानना है कि तीसरी तिमाही में चूक की संख्या में वृद्धि के मामले में गिरावट आने की उम्मीद है। चूक में कमी चौथी तिमाही से रुकने की उम्मीद है, लेकिन माइक्रोफाइनेंस सेक्टर में तनाव अभी भी दो-तीन तिमाहियों तक बना रहेगा। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 26 की दूसरी छमाही से ही हालात सामान्य की उम्मीद है।