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यूके में टैक्स के नियमों में बदलाव से NRI में हड़कंप, जानिए क्या है पूरा मामला

यूके की सरकार ने वहां रहने वाले गैर-यूके नागरिकों की विदेश में एसेट्स से इनकम पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव पेश किया है। इसमें रेंट्स, डिविडेंड जैसी इनकम शामिल हैं। NRI को इस इनकम पर टैक्स चुकाना पड़ सकता है

अपडेटेड Apr 15, 2024 पर 5:03 PM
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अमीर भारतीय यूके में उपलब्ध सुविधाओं की वजह से वहां रहना चाहते हैं। इनमें हेल्थकेयर, एजुकेशन और जीवन स्तर से जुड़ी सुविधाएं शामिल हैं।

यूनाइटेड किंग्डम (UK) सरकार के एक प्रस्ताव से वहां रह रहे NRI में चिंता है। वे कम टैक्स वाले दूसरे देशों में टैक्स-फ्रैंडली ओनरशिप स्ट्रक्चर बनाने पर विचार कर रहे हैं। दरअसल, यूके की सरकार ने गैर-यूके नागरिकों की विदेश में इनकम पर टैक्स जुड़े नियम में बड़े बदलाव का प्रस्ताव पेश किया है। यह बदलाव अगले साल अप्रैल से लागू होगा। अभी जो नियम है, उसमें यूके में रहने वाले गैर-यूके नागरिकों की सिर्फ यूके में हुई कमाई पर टैक्स लगता है। नए नियम को देखते हुए NRI इंडिया में अपने एसेट्स से होने वाली इनकम पर टैक्स पेमेंट से बचने के रास्ते तलाश रहे हैं।

यूके में एनआरआई अपनी इंडियन प्रॉपर्टी से अलग होने पर भी कर रहे विचार

टैक्स कंसल्टेंसी फर्म Legacy Growth के मैनेजिंग पार्टनर सूरज मलिक ने कहा, "ऐसे परिवार जिनके पास यूके के बाहर एसेट्स हैं वे ऐसे होल्डिंग स्ट्रक्चर बनाने के लिए अल्टरनेट ज्यूरिडिक्शंस की तलाश कर रहे हैं जिससे यूके के प्रस्तावित टैक्स से उन्हें बचने का रास्ता मिल जाए।" उन्होंने कहा कि यूके में रहने वाले NRI ऐसे एसेट्स के नियंत्रण से खुद को अलग करने के विकल्प पर भी विचार कर रहे हैं।


यूके में टैक्स नियमों में बदलाव का फायदा दुबई को मिल सकता है

यूके के ऐसे एनआरआई के लिए दुबई एक अच्छे विकल्प के रूप में सामने आया है। दुबई में टैक्स बहुत कम है, जबकि लाइफस्टाइल दूसरे ग्लोबल फाइनेंशियल सेटर्स जितनी बेहतर है। आरती लॉ ऑफिसेज के फाउंडर अमित सिंघानिया ने कहा, "टैक्स के नियमों में बदलाव के प्रस्ताव से अमीर भारतीयों के बीच यूके का आकर्षण कम हो सकता है। नए नियम के लागू होने पर रेंट्स, डिविडेंड आदी जैसी इनकम पर 40-45 फीसदी तक टैक्स चुकाना पड़ सकता है।" सिंघानिया ने कहा कि यूके में टैक्स के नियमों में बदलाव से दुबई को फायदा हो सकती है। अमीर भारतीयों के बीच पहले से दुबई का आकर्षण बढ़ रहा है। दुबई में अब भी पर्सनल इनकम पर टैक्स जीरो है।

सक्सेशन प्लानिंग पर भी असर

यूके में टैक्स के नियमों में प्रस्तावित बदलाव से सक्सेशन प्लानिंग पर भी असर पड़ सकता है। यूके में एस्टेट टैक्स 40 फीसदी है, जबकि इंडिया में ऐसी गतिविधियों पर टैक्स नहीं है। यूके में टैक्स का यह नियम एनआरआई के इंडिया स्थित प्रॉपर्टीज पर भी लागू होगा। अब तक यूके ग्लोबल सिटीजनशिप चाहते वाले अमीर भारतीय के लिए पसंदीदा देश था। कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, करीब 25 करोड़ अमीर भारतीय 'गोल्डन वीजा रूट' के जरिए यूके के टैक्स रेजिडेंट्स बन गए थे। यूके की सरकार ने गोल्डन वीजा स्कीम 2022 में खत्म कर दी थी।

यूके की सुविधाएं NRI का अट्रैक्ट करती हैं

अमीर भारतीय यूके में उपलब्ध सुविधाओं की वजह से वहां रहना चाहते हैं। इनमें हेल्थकेयर, एजुकेशन और जीवन स्तर से जुड़ी सुविधाएं शामिल हैं। अब तक यूके अमीर भारतीयों को यूके रिलोकेट होने के लिए टैक्स-छूट भी ऑफर करता था। भारत सरकार के डेटा के मुताबिक, पिछले पांच साल में 83,468 इंडियंस ने यूके में बसने के लिए भारत की अपनी नागरिकता छोड़ी है।

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