Crude Oil Price: तेल उत्पादक देशों के एक प्रस्ताव के चलते इसके भाव में उछाल दिख रही है और यह 82 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। तेल उत्पादक देशों का संगठन OPEC+ उत्पादन में हर दिन 10 लाख बैरल से अधिक कटौती पर विचार कर रहा है। यह फैसला कीमतों को अधिक गिरने से रोकने के लिए हो सकता है।
अगर उत्पादन में यह कटौती होती है तो महामारी शुरू होने के बाद से यह सबसे बड़ी कटौती होगी। हालांकि ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक ओपेक+ देशों का कहना है कि कटौती कितनी होगी, इस पर अंतिम फैसला तब तक नहीं लिया जाएगा, जब तक बुधवार को विएना में मंत्रियों की बैठक नहीं हो जाती है। मार्च 2020 के बाद से ओपेक+ की पहली बार इस हफ्ते फिजिकल बैठक होगी।
100 डॉलर तक पहुंच सकते हैं भाव
वैश्विक इकॉनमी के सुस्त होने के चलते कच्चे तेल के भाव में गिरावट हो रही थी। इसके चलते यूबीएस ग्रुप एजी और जेपीमॉर्गन चेज एंड कंपनी ने हाल ही में कहा था कि ओपेक+ को इसके भाव स्थिर करने के लिए उत्पादन में हर दिन कम से कम 5 लाख बैरल की कटौती की जरूरत पड़ सकती है।
सिंगापुर के डीबीएस बैंक में एनर्जी एनालिस्ट सुवरो सरकार का मानना है कि जल्द ही कच्चे तेल के भाव फिर से 100 डॉलर प्रति बैरल के भाव पहुंच सकते हैं। सरकार के मुताबिक इस साल के आखिरी तक सप्लाई टाइट होने के चलते भाव में उछाल होगी।
कटौती का दुनिया भर में दिख सकता है असर
उत्पादन में बड़ी कटौती से अमेरिका और अन्य देश जहां इसकी खपत अधिक है, इसकी आलोचना कर सकते हैं। इसकी वजह ये है कि एनर्जी के बढ़ते भाव के चलते केंद्रीय बैंकों को ब्याज दरों में बढ़ोतरी करना पड़ा है। अपनी इकॉनमी को रिवाइव करने के लिए पिछले हफ्ते चीन ने फ्यूल के एक्सपोर्ट और क्रूड के आयात के नया कोटा जारी किया है जिसके चलते तेल को लेकर बुलिश सेंटिमेंट बढ़ा है।
दुनिया भर में सबसे अधिक कच्चे तेल का आयात चीन करता है। भारत की बात करें तो यह भी अपनी जरूरत का अधिकतर हिस्सा आयात करता है। ऐसे में कच्चे तेल के भाव में तेजी आती है तो इसका खर्चों पर असर दिख सकता है।