रिलायंस रिटेल ने मेट्रो कैश एंड कैरी के भारतीय कारोबार और उसके असेट्स के अधिग्रहण के लिए 5600 करोड़ रुपए का नान-बाइंडिंग बिड दाखिल किया है। इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक थाईलैंड के सबसे बड़े कारोबारी समूह Charoen Pokphand (CP) (चारोन पोकफंड (सीपी)) समूह ने मेट्रो कैश एंड कैरी के अधिग्रहण के लिए लगभग 8000 करोड़ रुपये या 1 बिलियन डॉलर की बोली लगाई है, जो जर्मन थोक कारोबारी (मेट्रो कैश एंड कैरी) की उम्मीदों से लगभग मेल खाती है।
मामले की जानकारी रखने वाले तीन लोगें ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि मेट्रो इंडिया ने दो हफ्ते पहले बेंगलुरु में मर्चेंट बैंकरों की उपस्थिति में दो बिडर्स के वरिष्ठ अधिकारियों की टीम के सामने मेट्रो इंडिया के प्रदर्शन और ग्रोथ की संभावना पर प्रेजेंटेशन दिया था। बता दें कि मेट्रो कैश एंड कैरी करीब 19 साल बाद भारत में अपना होलसेल बिजनेस बंद करने की तैयारी में है।
इस बारे में इकोनॉमिक टाइम्स के ईमेल का जबाव देते हुए मेट्रो कैश एंड कैरी इंडिया के प्रवक्ता ने कहा कि हम अफवाहों और अटकलों पर टिप्पणी नहीं करते हैं। इस बारे में रिलायंस और सीपी ग्रुप ने उन्हें भेजे गए ईमेल का जवाब अभी तक नहीं दिया है।
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक मेट्रो इंडिया की पैरेंट जर्मन कंपनी मेट्रो एजी भारत में रेगुलेटरी वातावरण और स्वेदशी बनाम विदेशी पर चल रहे विवाद से चिंतित है। भारतीय कंपनियों से जुड़ी लॉबी ग्रुप्स का आरोप है कि विदेशी रिटेल कंपनियों ने एफडीआई नियमों का उल्लंघन किया है। हालांकि विदेशी कंपनियों ने हमेशा इन आरोपों का खंडन किया है। फिलहाल अभी तक मेट्रो एजी के भारतीय कारोबार को खरीदने की रेस में रिलायंस को सबसे आगे माना जा रहा है। हालांकि थाईलैंड की कंपनी की नजर भी इस पर है।
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