Salary Hike in 2025: एंप्लॉयीज को झटका! इस साल और कम बढ़ेगी सैलरी, सबसे अधिक यहां होगी हाइक

Salary Hike in 2025: पिछले कुछ समय से सैलरी हाइक की रफ्तार सुस्त पड़ी है। इस बार यह और सुस्त होगी। ऐसा एक सर्वे में सामने आया है जिसमें 45 इंडस्ट्रीज की 1400 से अधिक कंपनियों की स्टडी की गई है। जानिए कि सबसे अधिक सैलरी हाइक कहां होगी और एंप्लॉयीज के इस्तीफे यानी एट्रिशन को लेकर क्या स्थिति है?

अपडेटेड Feb 20, 2025 पर 10:20 AM
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सर्वे के मुताबिक सबसे अधिक सैलरी इंजीनियरिंग डिजाइन सर्विसेज और ऑटो/वेईकल मैन्युफैक्चरिंग में हो सकती है जिसमें 10.2 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है।

Salary Hike in 2025: एंप्लॉयीज को इस साल झटका लग सकता है क्योंकि सैलरी ग्रोथ की रफ्तार और सुस्त होने वाली है। ऐसा एक दिग्गज ग्लोबल प्रोफेशनल सर्विसेज फर्म Aon का कहना है। वैश्विक स्तर पर बढ़ती अनिश्चितता और सुस्त ग्रोथ के बीच इस साल सैलरी औसतन 9.2 फीसदी की रफ्तार से बढ़ सकती है जबकि पिछले साल 9.3 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी थी। वर्ष 2022 से ही सैलरी इंक्रीमेंट में गिरावट का रुझान बना हुआ है जब कंपनियां औसतन 10.6 फीसदी की रफ्तार से सैलरी बढ़ाती थीं। इसके एनुअल सैलरी इंक्रीज एंड टर्नओवर सर्वे 2024-25 के मुताबिक इस साल ग्रोथ और सैलरी इंक्रीमेंट में उतार-चढ़ाव खत्म होने वाला है।

कंपनी छोड़ने की रफ्तार हुई है कम

45 इंडस्ट्रीज की 1400 से अधिक कंपनियों के आंकड़ों को देखने पर सामने आया है कि भारत में एंप्लॉयीज के इस्तीफे देने यानी एट्रिशन में कमी आई है। एट्रिशन रेट 2024 में गिरकर 17.7 फीसदी पर आ गया जोकि वर्ष 2023 में 18.7 फीसदी और वर्ष 2022 में 21.4 पर था।


सबसे अधिक हाइक कहां होगी?

सर्वे के मुताबिक सबसे अधिक सैलरी इंजीनियरिंग डिजाइन सर्विसेज और ऑटो/वेईकल मैन्युफैक्चरिंग में हो सकती है जिसमें 10.2 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है। इसके बाद नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनीज (NBFC) में 10 फीसदी की सैलरी हाइक हो सकती है। Aon के मुताबिक सैलरी हाइक में गिरावट की मुख्य वजह जियोपॉलिटिकल और इकनॉमिक डेवलपमेंट्स, अमेरिकी ट्रेड पॉलिसीज, मिडिल ईस्ट में तनाव और जेनेरेटिव एआई की तेजी है। हालांकि इसके बावजूद भारत के लिए पॉजिटिव ये है कि यहां इकनॉमिक तौर पर स्थिरता है और गांवों में मांग सुधर रही है, निजी खपत बनी हुई है। एक और वजह से सैलरी हाइक में सुस्ती दिखेगी और वह ये है कि कंपनियों के मार्जिन पर दबाव है।

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