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अप्रैल-जून 2024 तिमाही में महज 1% रही इंडियन स्मार्टफोन मार्केट की ग्रोथ, Xiaomi फिर से टॉप पर

अप्रैल-जून 2024 तिमाही के दौरान भारतीय स्मार्टफोन मार्केट में सिर्फ 1 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई। मार्केट ट्रैकर कैनालिस की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, लोकसभा चुनाव, सीजनल मांग में सुस्ती और कई इलाकों में गर्मी चरम पर होने की वजह से इसकी शिपमेंट 3.64 करोड़ डॉलर रही। मार्केट ट्रैकर का कहना है कि इस दौरान इनवेंट्री लेवल काफी हाई रहा और कुछ वेंडर ने हाई प्राइस सेगमेंट में नई डिवाइस लॉन्च की,

अपडेटेड Jul 18, 2024 पर 3:26 PM
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आगामी फेस्टिव सीजन में भारत में स्मार्टफोन मार्केट ग्रोथ मिड-सिंगल डिजिट में रहने का अनुमान है।

अप्रैल-जून 2024 तिमाही के दौरान भारतीय स्मार्टफोन मार्केट में सिर्फ 1 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई। मार्केट ट्रैकर कैनालिस (Canalys) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, लोकसभा चुनाव, सीजनल मांग में सुस्ती और कई इलाकों में गर्मी चरम पर होने की वजह से इसकी शिपमेंट 3.64 करोड़ डॉलर रही। मार्केट ट्रैकर का कहना है कि इस दौरान इनवेंट्री लेवल काफी हाई रहा और कुछ वेंडर ने हाई प्राइस सेगमेंट में नई डिवाइस लॉन्च की, जबकि बाकी ने फेस्टिव सीजन से पहले इनवेंट्री के बेहतर इस्तेमाल के लिए मौजूदा स्टॉक को घटाने पर फोकस किया।

कैनालिस को आगामी फेस्टिव सीजन में ग्रोथ मिड-सिंगल डिजिट में रहने का अनुमान है। बहरहाल, 6 तिमाहियों के बाद शाओमी (Xiaomi) ने स्मार्टफोन मार्केट में अपनी टॉप पोजिशन हासिल कर ली है। इस ब्रांड ने 18% मार्केट शेयर के साथ 67 लाख यूनिट्स की बिक्री की। दूसरे नंबर पर वीवो (Vivo) रही। सैमसंग (Samsung) 61 लाख लाख यूनिट्स की बिक्री के साथ तीसरे स्थान पर मौजूद रही। इसके अलावा, रियलमी (Realme) और ओप्पो (Oppo) क्रमशः 4.3 लाख और 42 लाख यूनिट्स के साथ टॉप 5 ब्रांड्स में शामिल रहीं।

कैनालिस के सीनियर एनालिस्ट संयम चौरसिया ने बताया, ' टॉप स्मार्टफोन ब्रांड्स ने अपने मिड -हाई-एंड पोर्टफोलियो का विस्तार किया और इन्वेंट्री खत्म करने के लिए शुरुआती मॉनसून सेल्स का इस्तेमाल करेगी, ताकि फेस्टिव सीजन से पहले नए मॉडलों के लिए गुंजाइश बन सके।' एनालिस्ट ने बताया कि हैंडसेंट वेंडर्स को मार्केट शेयर के बजाय बिजनेस की संभावनाओं को प्राथमिकता देनी चाहिए और उपभोक्ताओं के लिए बेहतर साख के साथ काम करना चाहिए।


उन्होंने कहा, ' हैंडसेट मार्केट कई तरह की चुनौतियों से जूझ रहा है, मसलन मास-मार्केट सेगमेंट में मांग में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। इसके अलावा, फीचर फोन से स्मार्टफोन में शिफ्ट होने के मामलों की रफ्तार सुस्त हो गई है। साथ ही, सेकेंड-हैंड स्मार्टफोन का प्रचलन काफी बढ़ गया है। नतीजतन, ब्रांड्स अक्सर फेस्टिव प्रमोशंस के जरिये अस्वाभाविक मांग पैदा करने की कोशिश करते हैं। कंज्यूमर्स द्वारा ऊंची कीमत पर स्मार्टफोन खरीदे जाने के बावजूद अलग-अलग प्राइस रेंज में कॉम्पिटिशन काफी तेज है, लिहाजा प्रॉफिट हासिल करना बेहद मुश्किल हो गया है।'

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