Byju’s Insolvency: NCLAT से रिजू रवींद्रन को झटका, CoC की ओर से ₹158 करोड़ के BCCI-Byju’s सेटलमेंट के रिव्यू पर नहीं लगेगी रोक
CoC वित्तीय लेनदारों का एक समूह है, जो इनसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग्स के दौरान किसी कंपनी को रिप्रेजेंट करती है और उसके लिए फैसला लेती है। 10 फरवरी को NCLT ने समझौते के माध्यम से Byju’s के खिलाफ इनसॉल्वेंसी की कार्यवाही बंद करने से इनकार कर दिया। साथ ही CoC को मामले पर अंतिम फैसला लेने का निर्देश दिया
NCLT ने BCCI को CoC के सामने 158 करोड़ रुपये की सेटलमेंट याचिका पेश करने का निर्देश दिया था।
नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCLAT) चेन्नई ने संकटग्रस्त एडटेक फर्म Byju’s के डायरेक्टर रिजू रवींद्रन को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है। रिजू ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के साथ अपने 158 करोड़ रुपये के समझौते को स्टार्टअप के लेनदारों की समिति (CoC) के दायरे से बाहर रखने की मांग की थी। NCLAT ने इस समझौते पर विचार करने या उसे खारिज करने को लेकर CoC पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
रिजू, Byju’s फाउंडर बायजू रवींद्रन के छोटे भाई हैं। 10 फरवरी को नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) की बेंगलुरु पीठ ने समझौते के माध्यम से Byju’s के खिलाफ इनसॉल्वेंसी की कार्यवाही बंद करने से इनकार कर दिया। साथ ही CoC को मामले पर अंतिम फैसला लेने का निर्देश दिया। NCLT ने BCCI को CoC के सामने 158 करोड़ रुपये की सेटलमेंट याचिका पेश करने का निर्देश दिया था।
CoC वित्तीय लेनदारों का एक समूह है, जो इनसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग्स के दौरान किसी कंपनी को रिप्रेजेंट करती है और उसके लिए फैसला लेती है। रिजू ने NCLAT के सामने तर्क दिया कि CoC के गठन से पहले BCCI के साथ समझौता अंतिम रूप ले चुका था। NCLAT अब 3 मार्च को रिजू की याचिका पर सुनवाई करेगा।
BCCI ने शुरू किया था इनसॉल्वेंसी केस
BCCI ने Byju’s की ओर से टर्मिनेटेड स्पॉन्सरशिप एग्रीमेंट के तहत 158 करोड़ रुपये का भुगतान करने में विफल रहने पर इनसॉल्वेंसी केस शुरू किया था। विवाद को सुलझाने के प्रयास में, रिजू रवींद्रन ने बकाया राशि के फुल सेटलमेंट का प्रस्ताव रखा और इनसॉल्वेंसी प्रोसेस रोकने की मांग की गई। लेकिन अमेरिका स्थित ग्लास ट्रस्ट और आदित्य बिड़ला फाइनेंस सहित कर्जदाताओं ने BCCI के साथ 158 करोड़ रुपये के Byju’s के सेटलमेंट का विरोध किया और समझौते की राशि को "दागी धन" बताया। हालांकि, BCCI और Byju’s दोनों ने इस दावे का विरोध किया है और कहा है कि समझौते की राशि 'साफ' है। यह वह पैसा है, जिस पर टैक्स चुकाया गया है।
इस महीने की शुरुआत में रिजू रवींद्रन ने NCLT के उस आदेश के खिलाफ NCLAT का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें एडटेक फर्म की CoC में ग्लास ट्रस्ट और आदित्य बिड़ला फाइनेंस को बहाल किया गया था। ग्लास ट्रस्ट के पास 11,432 करोड़ रुपये के दावे के कारण CoC में 99.41 प्रतिशत वोटिंग शेयर है।
NCLT ने 29 जनवरी को Byju’s के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (आरपी) के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही का निर्देश देते हुए एक आदेश पारित किया और ग्लास ट्रस्ट और आदित्य बिड़ला फाइनेंस को CoC से बाहर करने के उसके फैसले को पलट दिया। बाद में इस मामले की सुनवाई NCLAT की चेन्नई पीठ ने की। हालांकि, पीठ के एक सदस्य जस्टिस सरद कुमार शर्मा ने BCCI के साथ अपने पिछले संबंधों के कारण मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। BCCI ने बकाया वसूली के लिए Byju’s के खिलाफ याचिका दायर की थी।