आपने स्टार्टअप्स की सफलता (Success Stories of Startups) की कई कहानियां सुनी होगी। आज हम आपको ऐसी कहानी के बारे में बता रहे हैं, जिसने एक छोटे शहर में जन्म लिया। यह स्टार्टअप्स छोटे शहरों के लिए है। हम बात कर रहे हैं दिलखुश कुमार का। दिलखुश बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने एक कंपनी बनाई है, जिसका नाम Rodbez है। यह कंपनी क्या करती है, दिलखुश कितना पढ़ेलिखे हैं, उनका फ्यूचर प्लान क्या है? आइए इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं। दिलखुश की कहानी छोटे शहरों के उन लाखों युवाओं को प्रेरित कर सकती है, जो यह सोचते हैं कि सफलता खासकर कारोबार में कामयाबी का कहानियां सिर्फ बड़े शहरों में जन्म लेती हैं।
दिलखुश ने उबर जैसी सर्विस शुरू की है। यह छोटे शहरों के ग्राहकों के लिए है। 29 साल के दिलखुश की कहानी बहुत दिलचस्प है। करीब सात-आठ पहले वह पटना की सड़कों पर सब्जियां बेचा करते थे। उन्होंने दिल्ली में रिक्शा तक चलाया है। अब वह RodBez के सीईओ हैं। उन्होंने इस ऐप को तैयार किया है। आज वह आईआईटी और आईआईएम ग्रेजुएट्स के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। उनके स्टार्टअप के नाम को लेकर भी मजेदार कहानी है। दरअसल, रोडवेज का उच्चारण अक्सर बिहार में रहने वाले लोग रोडबेज करते हैं। यहीं से इस स्टार्टअप का नाम RodBez रखने का आइडिया दिलखुश को आया।
छोटे शहरों के लोगों को बड़ा तोहफा
आज दिलखुश की पहचान स्टार्टअप किंग ऑफ बिहार के रूप में बन चुकी है। खास बात यह है कि यह ऐप छोटे शहरों के लोगों की मोबिलिटी की प्रॉब्लम दूर करता है। ग्राहक अगर किसी दूर की जगह के लिए टैक्सी सर्विस लेता है तो उसे दोनों तरफ का किराया चुकाना पड़ता है। इस प्रॉब्लम को दूर करने के लिए RodBez ग्राहकों को 'वन वे टैक्सी. टैक्सी पूल और कारपूल प्लेटफॉर्म' जैसी सुविधाएं ऑफर करता है। ग्राहक शहर से गांव और गांव से शहर जाने के लिए इस ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं।
रोडबेज के सीईओ का प्लान बहुत बड़ा है। वह केरल से लेकर कश्मीर तक के लोगों को अपने ऐप की सेवाएं उपलब्ध कराना चाहते हैं। रोडबेज की शुरुआत मई 2022 में हुई थी। दिलखुश ने अपने भाई सिद्धार्थ के साथ मिलकर इस ऐप की शुरुआत की थी। उन्होंने इस स्टार्टअप में जीवन भर की अपनी कमाई लगाई है। उनका मानना है कि उनके दोस्त और रिश्तदारों की दुआओं का असर है कि बहुत कम समय में यह स्टार्टअप अच्छी पहचान बना चुका है।
स्टार्टअप्स का हब बन चुका है इंडिया
स्टार्टअप के लिए इंडिया में अनुकूल माहौल है। यही वजह है कि सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिहाज से आज इंडिया दुनिया में तीसरे पायदान पर है। इससे आगे सिर्फ अमेरिका और इंग्लैंड हैं। आज इंडिया में स्टार्टअप्स की संख्या हजारों में पहुंच चुकी है। इनमें से कई यूनिकॉर्न बन चुके हैं। हालांकि, स्टार्टअप की कामयाबी का रास्ता अब भी आसान नहीं है। हमारे तक सिर्फ स्टार्टअप्स की सफलता की कहानियां पहुंच पाती हैं। डूबने वाले स्टार्टअप्स की कहानियों के बारे में हमें कोई नहीं बताता।