Credit Cards

स्पाइसजेट पर 180 करोड़ बकाया मामले में 28 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा, जानिए पूरा मामला

स्पाइसजेट की हालत पहले से खराब है। कोरोना की महामारी का सबसे ज्यादा असर एयरलाइंस इंडस्ट्री पर पड़ा है। ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्रेडिट सुइस के पक्ष में जाता है तो स्पाइसजेट बड़ी मुश्किल में फंस जाएगी

अपडेटेड Jan 24, 2022 पर 4:35 PM
Story continues below Advertisement
कोरोना की महामारी ने एयरलाइंस कंपनियों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। लॉकडाउन और आर्थिक गतिविधियों पर पाबंदी का सीधा असर एयरलाइंस कंपनियों के कारोबार पर पड़ा है। इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में स्पाइसजेट का घाटा बढ़कर 561 करोड़ रुपये हो गया है।

एयरलाइंस कंपनी स्पाइसजेट (SpiceJet) की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। इस एयरलाइंस पर 180 करोड़ रुपये बकाया मामले में सुप्रीम कोर्ट 28 जनवरी को सुनवाई करेगा। स्पाइसजेट पर फाइनेंशियल कंपनी क्रेडिट सुइस एजी (Credit Suisse AG) का 180 करोड़ रुपये बकाया है। अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले में स्पाइसजेट के खिलाफ फैसला सुनाता है तो एयरलाइंस कंपनी मुश्किल में फंस जाएगी। स्पाइसजेट पर क्रेडिट सुइस का यह कैसा बकाया है, यह मामला कितना पुराना है, आखिर यह मामला सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा? आइए इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।

यह मामला करीब एक दशक पुराना है। दरअसल, स्पाइसजेट ने 2011 में स्विट्जरलैंड की कंपनी एसआर टेक्निक्स को अपने विमान और उनके इंजन की मेंटनेंस का काम दिया था। स्पाइसजेट ने इस काम के लिए तय रकम नहीं चुका सकी। 2012 में क्रेडिट सुइस और एसआर टेक्निक्स के बीच एक समझौता हुआ। इसके तहत एसआर टेक्निक्स ने स्पाइसजेट से बकाया रकम हासिल करने का अधिकार क्रेडिट सुइस को दे दिया। इस तरह इस मामले में क्रेडिट सुइस की एंट्री हुई।

क्रेडिट सुइस ने बकाया भुगतान में लगातार देर होने पर 2015 में स्पाइसजेट के खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। उसने याचिका में स्पाइसजेट को बंद करने की मांग की। तब स्पाइसजेट के वकीलों ने क्रेडिट सुइस की याचिका को खारिज कराने की भरसक कोशिश की। एयरलाइंस ने कहा कि एसआर टेक्निक्स ने जो बिल ऑफ एक्सचेंज तैयार किया था, उसमें कई तकनीकी खामियां थीं। इसलिए इसे भारत में लागू नहीं कराया जा सकता। स्पाइसजेट ने यह भी कहा कि क्रेडिट सुइस क्रेडिटर (पैसा उधार देने वाला) नहीं है। और डेटर (पैसा उधार लेने वाला) और क्रेडिटर के बीच किसी तरह का कॉन्ट्रैक्चुअल रिलेशनशिप नहीं होने से स्पाइसजेट को बंद कराने (Winding-up) की याचिका का कोई आधार नहीं है।


स्पाइसजेट ने एसआर क्रेडिट सुइस की याचिका के खिलाफ यह भी दलील दी कि एसआर टेक्निक्स भारत में एयरलाइंस कंपनियों के रेगुलेटर डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) के यहां रजिस्टर्ड नहीं है। हालांकि, मद्रास हाईकोर्ट ने एक जज ने स्पाइसजेट की दलीलों को खारिज कर दी। उन्होंने क्रेडिट सुइस के पक्ष में फैसला सुनाया। उन्होंने यह भी कहा कि स्पाइसजेट ने एसआर टेक्निक्स की सेवाएं लेनी जारी रखी है। इसलिए वह अब अपना रुख बदल नहीं सकती। जज ने स्पाइसजेट के एसेट्स को जब्त करने का अधिकार एक ऑफिशियल लिक्विडेटर को दे दिया।

स्पाइसजेट ने पिछले महीने मद्रास हाईकोर्ट के जज के आदेश को चैलेंज किया। फिर जज ने तीन हफ्ते के लिए अपने आदेश के अमल पर रोक लगा दी ताकि स्पाइसजेट इसके खिलाफ अपील कर सके। फिर, मद्रास हाईकोर्ट की एक डिविजन बेंच ने भी दो हफ्ते पहले स्पाइसजेट की अपील खारिज कर दी, लेकिन फैसले पर रोक की अवधि बढ़ा दी। इसके बाद स्पाइसजेट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अब इस महीने की 28 तारीख को देश की सबसे बड़ी अदालत में इस मामले में सुनवाई होगी।

कोरोना की महामारी ने एयरलाइंस कंपनियों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। लॉकडाउन और आर्थिक गतिविधियों पर पाबंदी का सीधा असर एयरलाइंस कंपनियों के कारोबार पर पड़ा है। इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में स्पाइसजेट का घाटा बढ़कर 561 करोड़ रुपये हो गया है। एक करीब एक साल में स्पाइसजेट का शेयर 30 फीसदी से ज्यादा गिर चुका है। सोमवार को कंपनी का शेयर 4 फीसदी से ज्यादा गिरकर 60.65 रुपये पर बंद हुआ।

यह भी पढ़ें : Republic Day 2022: गणतंत्र दिवस पर दिल्ली मेट्रो में यात्रा करने से पहले जान लें पूरा शेड्यूल, ट्रेन और पार्किंग सेवाओं को लेकर एडवाइजरी जारी

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।