TCS's growth slowed: पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में कॉन्स्टैंट करेंसी के टर्म के हिसाब से टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) 4.2 फीसदी की स्पीड से बढ़ी। यह लगातार दूसरा वित्त वर्ष रहा, जब व्यापक तौर पर कारोबारी अनिश्चितताओं के बीच टीसीएस की ग्रोथ 5 फीसदी से कम रही। वित्त वर्ष 2024 में यह 3.4 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी थी। कंपनी के सीईओ और एमडी के कृतिवासन ने 10 अप्रैल को अर्निंग कॉन्फ्रेंस में कहा कि वित्त वर्ष 2025 में रेवेन्यू 3 हजार करोड़ डॉलर के पार रहा। कंपनी के सीईओ ने कहा कि जनवरी में ही माहौल बेहतर होने के शुरुआती संकेत मिलने लगे थे लेकिन टैरिफ के चलते स्थिति तेजी से बदल गई।
बिना मेगा डील ऑर्डरबुक रिकॉर्ड दूसरे नंबर पर
टीसीएस के सीईओ ने कहा कि फैसले लेने और प्रोजेक्ट शुरू होने में देरी के बावजूद हर अहम देश में कंपनी का कारोबार तिमाही आधार पर बढ़ा है। खास बात ये रही कि बिना किसी मेगा डील के मार्च तिमाही में ऑर्डरबुक 1220 करोड़ डॉलर रहा जो दूसरी सबसे अधिक तिमाही ऑर्डरबुक है। उत्तरी अमेरिका से ऑर्डर बुक 680 करोड़ डॉलर, बीएफएसआई से 400 करोड़ डॉलर और कंज्यूमर बिजनेस से 170 करोड़ डॉलर रहा। मजबूत ऑर्डरबुक के दम पर कंपनी के सीएमडी को उम्मीद है कि यह कैलेंडर वर्ष 2025 पिछले वर्ष 2024 से बेहतर रहेगा। हालांकि उन्होंने शॉर्ट टर्म अनिश्चितताओं का भी जिक्र किया लेकिन कहा कि ओवरऑल वित्त वर्ष 2026 पिछले वित्त वर्ष 2025 की तुलना में बेहतर रहेगा।
उन्होंने कहा कि फरवरी तक मार्च तिमाही को लेकर रुझान पॉजिटिव था लेकिन मार्च में अनिश्चितताएं बढ़ने लगी और कुछ चलते फैसले ले में देरी हुई और प्रोजेक्ट शुरू होने में भी। हालांकि उन्होंने कहा कि कोई बड़ा प्रोजेक्ट कैंसल नहीं हुआ है और अगले कुछ महीने में अनिश्चितता खत्म हो जाएगा और सब कुछ ट्रैक पर आ जाएगा। टीसीएस समेत सभी आईटी कंपनियों के लिए सबसे बड़ी चिंता अमेरिकी टैरिफ हैं जिसके चलते ग्राहकों टेक्नोलॉजी पर खर्च करने पर फिर से सोच-विचार कर रहे हैं जिससे फैसले लेने में देरी हो रही है। अब चूंकि ट्रंप ने चीन को छोड़ बाकी देशों को अमेरिकी टैरिफ से 90 दिनों तक काफी राहत दी है तो टीसीएस इसका इंतजार कर रहा है कि ग्राहकों की प्रतिक्रिया इस पर कैसी रहती है।
कैसी रही TCS के लिए मार्च तिमाही?
टीसीएस के लिए वित्त वर्ष 2025 की आखिरी तिमाही जनवरी-मार्च 2025 उम्मीद से कमजोर रही। मार्च तिमाही में कंपनी का कंसालिडेटेड नेट प्रॉफिट सालाना आधार पर करीब 2 फीसदी गिरकर 12,224 करोड़ रुपये और ऑपरेशनल रेवेन्यू 5.3 फीसदी उछलकर 64,479 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। वहीं मनीकंट्रोल ने चार ब्रोकरेजेज के बीच जो पोल कराया था, उसमें 12,554 करोड़ रुपये के नेट प्रॉफिट और 64,840 करोड़ रुपये के रेवेन्यू का अनुमान लगाया गया था।