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TCS में 12000 से ज्यादा लोगों की छंटनी केवल ट्रेलर, IT में अभी बाकी है पूरी पिक्चर!

छंटनी का असर मुख्य रूप से मिड और सीनियर लेवल के कर्मचारियों पर होगा। Tata Consultancy Services के CEO के. कृतिवासन का कहना है कि कंपनी काम करने के तरीके बदल रही है। इसे भविष्य के लिए तैयार और चुस्त रहने की जरूरत है

अपडेटेड Jul 28, 2025 पर 9:57 PM
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TCS वर्कफोर्स में से 2 प्रतिशत से ज्यादा कर्मचारियों को कम कर देगी।

देश की सबसे बड़ी IT कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) में 12000 से ज्यादा कर्मचारियों की छंटनी होने वाली है। यह वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान होगी। हो सकता है कि यह यहीं न थमे। TCS की घोषणा से एनालिस्ट्स को आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस (AI) और ऑटोमेशन के बढ़ते असर के कारण आने वाले वक्त में ऐसे और मामले सामने आने का डर सताने लगा है। मतलब यह कि हो सकता है कि TCS में जॉब कट केवल शुरुआत हो और आईटी इंडस्ट्री में आगे और ज्यादा नौकरियों पर संकट मंडराने लगे।

TCS वर्कफोर्स में से 2 प्रतिशत से ज्यादा कर्मचारियों को कम कर देगी। यह कदम उन सभी देशों और डोमेन के कर्मचारियों को प्रभावित करेगा, जहां TCS ऑपरेशनल है। अप्रैल-जून 2025 तिमाही में TCS के कर्मचारियों की संख्या 6,13,000 थी। इस आंकड़े के बेसिस पर 2 प्रतिशत की कमी से लगभग 12,200 कर्मचारी प्रभावित होंगे। छंटनी का असर मुख्य रूप से मिड और सीनियर लेवल के कर्मचारियों पर होगा।

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के CEO के. कृतिवासन का कहना है कि कंपनी काम करने के तरीके बदल रही है। इसे भविष्य के लिए तैयार और चुस्त रहने की जरूरत है। TCS नई टेक्नोलॉजी, खासकर AI और ऑपरेटिंग मॉडल में बदलावों पर जोर दे रही है। लेकिन कृतिवासन ने यह भी कहा है, 'यह AI के कारण नहीं, बल्कि भविष्य के लिए स्किल विकसित करने के लिए है। यह डिप्लॉयमेंट की व्यवहारिकता को लेकर है, न कि इसलिए कि हमें कम लोगों की जरूरत है।'


कम में ज्यादा काम चाह रहे हैं वेंचर

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, काउंटरपॉइंट रिसर्च के रिसर्च डायरेक्टर तरुण पाठक का कहना है कि TCS का यह कदम व्यापक आर्थिक दबाव, ग्राहकों की बदलती अपेक्षाओं और उद्योग के अधिक चुस्त, आउटकम-बेस्ड डिलीवरी मॉडल की तरफ रुख करने का नतीजा है। उन्होंने कहा कि भले ही कंपनी ने इस छंटनी को AI से प्रेरित नहीं बताया है, लेकिन यह ऐसे समय हो रही है जब ऑटोमेशन और AI को अपनाने से पूरी टेक इंडस्ट्री में वर्कफोर्स को लेकर फैसलों पर बड़ा असर पड़ रहा है।

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टेकआर्क के चीफ एनालिस्ट और फाउंडर फैसल कावूसा ने कहा कि उद्यम अब उम्मीद कर रहे हैं कि आईटी सर्विसेज कंपनियां AI का इस्तेमाल करके कम में अधिक काम करें। ऐसी स्थिति में लागत का दबाव आगे भी छंटनी के लिए मजबूर करेगा। साइबरमीडिया रिसर्च के वाइस प्रेसिडेंट (इंडस्ट्री रिसर्च ग्रुप) प्रभु राम के मुताबिक, ‘‘AI को अपनाने की रफ्तार तेज होने के साथ क्लाइंट, कॉस्ट-एफिशिएंसी और प्रोडक्टिविटी गेन्स पर अधिक बल दे रहे हैं। टीसीएस और अन्य आईटी कंपनियां एफिशिएंसी बढ़ाने के लिए AI और ऑटोमेशन का इस्तेमाल कर रही हैं, मौजूदा टीम्स के साथ ज्यादा डिलीवर करने या कम वकफोर्स के साथ आउटपुट मेंटेन करने की कवायद में जुटी हैं।’’

जो नहीं हुआ अपग्रेड, उसकी हो सकती है छुट्टी

टीमलीज डिजिटल की सीईओ नीति शर्मा का कहना है कि हर कंपनी अब एआई की अगुवाई वाले बदलाव की तरफ देख रही है। कंपनियां अपने मौजूदा और नए कर्मचारियों की कुशलता बढ़ाने में भारी निवेश कर रही हैं। कंपनी के भविष्य के स्ट्रक्चर में फिट नहीं बैठने वाले या अपनी काबिलियत नहीं बढ़ाने वाले कर्मचारियों को बाहर जाना पड़ सकता है।

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