अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ब्रिक्स (BRICS) देशों पर टैरिफ लगाने की धमकी दी है, जिसमें भारत भी शामिल हैं। ट्रंप ने 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालते ही अपने भाषण में कहा कि अगर ब्रिक्स के सदस्य देश अमेरिकी डॉलर पर अपनी निर्भरता घटाने की कोशिश जारी रखते हैं, तो उन्हें 100 फीसदी टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। ट्रंप के इस बयान का मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार पर भी असर देखने को मिली और सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में करीब 850 अंक लुढ़क गया।
ट्रंप ने कहा, "एक BRICS देश के रूप में, अगर वे अपने विचार के अनुसार काम करने के बारे में सोचते भी हैं तो उन पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगेगा और इसलिए वे इसे तुरंत छोड़ देंगे।" उनका इशारा अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर के इस्तेमाल को कम करने की ब्रिक्स देशों की कोशिशों की ओर था।
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये बयान दिए। बता दें कि साल 2009 में गठित हुआ BRICS, दुनिया का इकलौता ऐसा प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसका संयुक्त राज्य अमेरिका हिस्सा नहीं है। इसके सदस्यों में भारत, रूस, चीन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, ईरान, मिस्र, इथियोपिया और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं।
पिछले कुछ सालों में इसके कुछ सदस्य देश, खासतौर से रूस और चीन, अंतरराष्ट्रीय व्यापार करने के लिए अमेरिका डॉलर का विकल्प तलाश रहे हैं। इसके लिए उन्होंने अपनी खुद की BRICS करेंसी बनाने की भी पहल की है। हालांकि भारत अभी तक इस पहल का हिस्सा नहीं रहा है।
ट्रंप ने कहा, "अगर ब्रिक्स देश ऐसा करना चाहते हैं, तो ठीक है, लेकिन हम संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ उनके व्यापार पर कम से कम 100 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे... यह कोई धमकी नहीं है। वास्तव में जब मैंने यह बयान दिया, तो बाइडन ने कहा कि वे हमें मुश्किल में डाल सकते हैं। मैंने कहा, नहीं, हम उन्हें मुश्किल में डाल सकते हैं और ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे वे ऐसा कर पाएं।"
साल 2023 के 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने डी-डॉलरीकरण की अपील करते हुए कहा कि सदस्य देशों को अपनी राष्ट्रीय करेंसी में सेटलमेंट का विस्तार करना चाहिए और बैंकों के बीच सहयोग बढ़ाना चाहिए।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले महीने कहा कि भारत ने डी-डॉलरीकरण की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है और वह केवल अंतरराष्ट्रीय उथल-पुथल से घरेलू व्यापार को जोखिम मुक्त करने की कोशिश कर रहा है। शक्तिकांत दास ने जोर देकर कहा कि डी-डॉलरीकरण की बात नहीं हो रही है।
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