Budget Expectations: 7 एग्री वायदा पर लगे बैन को हटाएगी सरकार, खाने के तेल पर बड़े ऐलान संभव?

Budget Expectations: सरकार 7 एग्री वायदा पर लगे बैन को हटा सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार प्रस्ताव पर विचार कर रही है और उम्मीद है कि बजट में इसका ऐलान भी हो सकता है।

अपडेटेड Jan 08, 2025 पर 2:03 PM
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इंटरनेशनल मार्केट में कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। मलेशिया में भाव 4450 रिंग्गित के नीचे आया है।

Budget Expectations: सरकार 7 एग्री वायदा पर लगे बैन को हटा सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार प्रस्ताव पर विचार कर रही है और उम्मीद है कि बजट में इसका ऐलान भी हो सकता है। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक पैनल ने 7 एग्री वायदा पर बैन हटाने का प्रस्ताव दिया है।

सूत्रों के मुताबिक बैन से फायदा कम नुकसान ज्यादा हुआ। बैन लगने से बाजार को नुकसान हुआ। कीमतों के सही निर्धारण में परेशानी आई। सूत्रों के मुताबिक दाम घटाने के लिए बैन लगाया था। हाल में बैन की मियाद 31 जनवरी 2025 तक बढ़ी थी। 20 दिसंबर 2024 को मियाद खत्म हो रही थी। बता दें कि 20 दिसंबर 2021 को एग्री वायदा बैन हुआ था।

किनकी वायदा ट्रेडिंग है बैन?


धान (गैर-बासमती), गेहूं, चना, सरसों और उसके डेरिवेटिव, सोयाबीन और उसके डेरिवेटिव, CPO और मूंग के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाया गया था।

घटे पाम के दाम!

इंटरनेशनल मार्केट में कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। मलेशिया में भाव 4450 रिंग्गित के नीचे आया है। भाव 2.5 साल की ऊंचाई से करीब 800 रिंग्गित गिरे है। 11 नवंबर 2024 को 5195 रिंग्गित तक दाम पहुंचे थे। 2024 के निचले स्तरों से भाव 700 रिंग्गित ऊपर थे। 1 हफ्ते में करीब 2.50%, 1 महीने में 15% दाम गिरे है। गिरावट के बाद भी पाम दूसरे तेलों से अब भी महंगा है।

क्या है बाजार जानकारों का कहना

सनविन ग्रुप के CEO संदीप बाजोरिया का कहना है कि सरकार को जल्द एग्री वायदा से बैन हटाना चाहिए। बैन हटने से कमोडिटी में पार्टिसिपेशन बढ़ेगा। भारत में पाम का इंपोर्ट पहले 90-95 लाख टन सालाना होता था लेकिन अब दाम बढ़ने से पाम का इंपोर्ट 70-75 लाख टन हो जाएगा। दाम कम होने से सोयाबीन की इंपोर्ट 50 लाख टन हो सकता है। वहीं CPO, RBD पामोलीन का ड्यूटी अंतर बढ़ाना चाहिए। ड्यूटी में 15-20% का अंतर होना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि रिफाइंड ऑयल इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए ड्यूटी बढ़ानी चाहिए। ड्यूटी में अंतर कम होने से तिलहन का उत्पादन बढ़ेगा। ड्यूटी में 15-20% का अंतर होना चाहिए।

IVPA के प्रेसिडेंट सुधाकर देसाई का कहना है कि कमोडिटी वायदा से बैन हटता है तो इंडस्ट्री को फायदा होगा। लंबी अवधि के लिए सरकार नीतियां बनाए। बार बार नीतियों में बदलाव से इंडस्ट्री, किसानों को परेशानी होती है। दाम तय करने में परेशानी होती है। पाम के मुकाबले सोयाबीन बीन $100 सस्ता है। कीमतों में तेजी से पाम की मांग गिरी है। दाम में तेजी के कारण पाम की मांग आधी हो गई है।

उन्होंने आगे कहा कि पाम के दाम सोयाबीन के बराबर आने ही चाहिए। पाम ऑयल की मांग बायो फ्यूल में बढ़ रही है। इंडस्ट्री के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार फैसले ले। RBD पालोनी के इंपोर्ट पर ड्यूटी बढ़नी चाहिए। इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर 26% करना चाहिए। इंडस्ट्री को GST रिफंड भी मिलना चाहिए। देश में तिलहन के खेती को बढ़ाना मिलना चाहिए।

AFTA के जनरल सेक्रेटरी सुनील बलदेवा ने कहा कि बाजार ये मान रहा था कि सरकार बैन हटा सकती है। NAFED के जरिए सरकार 40% दालों का स्टॉक रखती है। एग्री कमोडिटी के भाव बाजार, ट्रेडर तय नहीं करते। इंडस्ट्री के पास हेजिंग का विकल्प अभी मौजूद नहीं है। सरकार बजट में MSP से कम दालों पर सरकार ड्यूटी लगाए। दलहन की कीमतों में स्थिरता के लिए सरकार कदम उठाए।

MoneyControl News

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First Published: Jan 08, 2025 2:02 PM

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